वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सफाई दी है कि सरकार रुपए को गिरने से बचाने के लिए विदेशी मुद्रा की आवाजाही पर कोई नियंत्रण नहीं लगाने जा रही है। इससे पहले इस तरह की खबरें आई थीं कि रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव की अध्यक्षता में वित्तीय स्थायित्व विकास परिषद (एफएसडीसी) की गुरुवार, 8 दिसंबर को होनेवाली बैठक में भारतीय कंपनियों के विदेशी निवेश और बाहरी ऋणों की पूर्व अदायगी पर बंदिश लगाई जाऔरऔर भी

देश का विदेशी मुद्रा भंडार देश पर चढ़े विदेशी ऋण से कम हो गया है। इन हालात में रिजर्व बैंक चाहकर भी रुपए को गिरने से बचाने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। शुक्रवार को वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने लोकसभा में बताया कि अद्यतन आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी ऋण जून 2011 के अंत तक 316.9 अरब डॉलर का था। वहीं, रिजर्व बैंक की तरफ से दी गई जानकारीऔरऔर भी

विदेश में बसे भारतीयों ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान देश में 56 अरब डॉलर की रकम भेजी है। यह इससे पिछले साल की तुलना में दो अरब डॉलर अधिक है। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री वायलार रवि ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में खाड़ी क्षेत्र के मिशन प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में 2010-11 में 55.9 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा विदेश में बसे भारतीयों नेऔरऔर भी

अमेरिका की ऋण सीमा का बवाल भले ही इस महीने उठा हो और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने उसकी रेटिंग दो हफ्ते घटा दी हो, लेकिन दुनिया भर के देश दो महीने पहले से ही अमेरिकी बांडों में अपना निवेश घटाने लगे हैं। मई में जहां दुनिया के तमाम देशों ने अमेरिकी बांडों में 4516 अरब डॉलर लगा रखे थे, वहीं जून में उनका निवेश घटकर 4499.2 अरब डॉलर रह गया। लेकिन इस दौरान चीन व ब्रिटेन जैसेऔरऔर भी

पिछले साल अक्टूबर में भारतीय रिजर्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से जो 200 टन सोना खरीदा था, वह उसके लिए बहुत फायदे का सौदा साबित हुआ है। आईएमएफ से खरीदते वक्त सोने का भाव 1045 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस (31.1034768 ग्राम) था, जबकि इस 9 जुलाई को यह 1212 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस रहा है। इसलिए केवल सोने की बदौलत 9 जुलाई तक के सबसे ताजा आंकड़ों के मुताबिक रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार मेंऔरऔर भी