भारतीय रुपया बुधवार को डॉलर के सापेक्ष तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। दिन भर में जितना भी बढ़ा था, शाम तक सारा कुछ धुल गया। विदेशी मुद्रा डीलरों को लगता है कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में जितनी कटौती करनी थी, कर दी है। आगे इसकी गुंजाइश बेहद कम है। आज खुद रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने भी कह दिया कि मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम कायम है, इसलिए ब्याज दरों कोऔरऔर भी

गुरुवार को डॉलर के सापेक्ष रुपए की विनिमय दर में करीब 1.2 फीसदी का झटका लगा है। बुधवार को एक डॉलर की विनिमय दर 50.775/785 रुपए थी, जबकि गुरुवार को यह 51.39/40 रुपए पर पहुंच गई। यह 12 दिसंबर 2011 के बाद किसी एक दिन में रुपए को लगा सबसे तगड़ा झटका है। विदेशी मुद्रा बाजार में इसकी दो वजहें मानी जा रही हैं। एक तो तेल आयातकों की तरफ से लगातार बढ़ रही डॉलर की मांग।औरऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ भारतीय मुद्रा के दुर्दिन भी थमने का नाम नहीं ले रहे। सोमवार को डॉलर के सापेक्ष रुपए की विनिमय दर 52.87 रुपए पर पहुंच गई जो अब के इतिहास की सबसे कमजोर दर है। हालांकि पिछले स्तर से 1.53 फीसदी की गिरावट के साथ 52.84 / 85 रुपए पर बंद हुई। इससे पहले रुपया 22 नवंबर को डॉलर से सापेक्ष 52.73 रुपए तक गिर गया था। विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है किऔरऔर भी

भारतीय कंपनियों ने इस कैलेंडर वर्ष 2011 में अब तक करीब 30 अरब डॉलर विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से जुटाए हैं। भारतीय मुद्रा में यह कर्ज लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपए का बैठता है। लेकिन जनवरी से अब तक डॉलर के सापेक्ष रुपए के 18 फीसदी कमजोर हो जाने से कंपनियों पर इस कर्ज का बोझ 5.40 अरब डॉलर या 27,000 करोड़ रुपए बढ़ गया है। ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के रिसर्च प्रमुख व रणनीतिकार जगन्नाधमऔरऔर भी

देश का बढ़ता व्यापार घाटा, विदेशी पूंजी की कम आवक, नतीजतन चालू खाते का बढ़ जाना, ऊपर से पेट्रोलियम तेल रिफाइनिंग व आयात पर निर्भर दूसरी कंपनियों में डॉलर खरीदने के लिए मची मारीमारी ने मंगलवार को डॉलर के सामने रुपए को ऐतिहासिक कमजोरी पर पहुंचा दिया। सुबह-सुबह एक डॉलर 52.73 रुपए का हो गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर भी 52.70रुपए प्रति डॉलर रखी गई थी। हालांकि शाम तक रुपए की विनिमय दर में थोड़ा सुधारऔरऔर भी

रुपए में कमजोरी का सिलसिला जारी है। डॉलर के सापेक्ष उसकी विनियम दर सोमवार को दोपहर तीन बजे के आसपास 1/52 रुपए से नीचे चली गई। 5 मार्च 2009 के बाद पहली बार रुपया इतना नीचे गिरा है। शाम पांच बजे तक एमसीएक्स एसएक्स में एक डॉलर की दर 52.27 रुपए हो गई, वहीं दिसंबर फ्यूचर्स का भाव 52.50 रुपए रहा है। अगर बाजार की मानें तो जून 2012 तक डॉलर/रुपए की विनिमय दर 53.20 रुपए होऔरऔर भी

कमजोर होती यूरोप मुद्रा यूरो और देश के भीतर कॉरपोरेट क्षेत्र व तेल कंपनियों की तरफ से डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है तो रुपया गिरता चला जा रहा है। मंगलवार को एक डॉलर 50.76 रुपए का हो गया है जो 31 मार्च 2009 के बाद के 32 महीनों में रुपए का सबसे कमजोर स्तर है। सोमवार को यह डॉलर के सापेक्ष 50.285/295 रुपए पर बंद हुआ था। मंगलवार को रिजर्व बैंक की संदर्भ दर 50.5645औरऔर भी

भारतीय रुपया शुक्रवार को डॉलर के सापेक्ष कमजोर होकर 49.825 रुपए तक चला गया। लेकिन बाद में 49.50 रुपए पर आकर थम गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर आज डॉलर के सापेक्ष 49.663 रुपए रही। जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक अगर बाजार में डॉलर नहीं बेचता तो रुपए की विनिमय दर कभी भी 50 रुपए के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर सकती है। लेकिन रिजर्व बैंक फिलहाल ऐसे किसी भी हस्तक्षेप के लिए तैयार नहींऔरऔर भी

दुनिया के 20 प्रमुख देशों के समूह जी-20 की बैठक जब शुरू हो रही हो, अमेरिका व यूरोप समेत तमाम विकसित देशों की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई हों, प्रमुख मुद्राओं में युद्ध की स्थिति आ गई हो, तमाम केंद्रीय बैंक व बड़े निवेशक सुरक्षा के लिए सोने की तरफ भाग रहे हों, ठीक उस वक्त विश्व बैंक भी सोने की अहमियत बताने लगे तो किसी का भी चौंकना स्वाभाविक है। लेकिन विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट जॉयलिक नेऔरऔर भी

देश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का आना जारी है। इस साल जनवरी से अब तक भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) 46,196.83 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश कर चुके हैं। सोमवार को ही उन्होंने शेयर बाजार में 1264.11 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया, जबकि घरेलू निवेशक संस्थाएं तेजी के इस माहौल में बेचकर मुनाफा कमा रही है और उनकी शुद्ध बिक्री 797.83 करोड़ रुपए की रही। विदेशी निवेश के आने से रुपया भी मजबूतऔरऔर भी