अंदर की प्रकृति को बाहर की प्रकृति से मिला देना, प्रकृति के साथ एकाकार हो जाना ही लक्ष्य है। सत्ता और समाज अपने-आप में साध्य नहीं, बल्कि साधन हैं प्रकृति की विपुल संपदा में अपना हिस्सा पाने के।और भीऔर भी