भारत से दो साल बाद मुक्त होनेवाला चीन छह दशकों के सफर में तमाम क्षेत्रों में आगे बढ़ चुका है। फिर भी लोकतंत्र ही नहीं, सोने की मांग तक में वह भारत को मात नहीं दे सका। लेकिन भारत अब पहली बार अपनी इस पारंपरिक श्रेष्ठता में भी चीन से पिछड़ गया है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 की आखिरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में भारत में सोने की खपत 173औरऔर भी

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सोने पर हम हिंदुस्तानी आज से नहीं, सदियों से फिदा हैं। पाते ही बौरा जाते हैं। उसकी मादकता हम पर छाई है। जुग-जमाना बदल गया। लेकिन यह उतरने का नाम ही नहीं ले रही। इसीलिए भारत अब भी दुनिया में सोने का सबसे बड़ा खरीदार है। चीन तेजी से बढ़ रहा है, फिर भी नंबर दो पर हैं। भारत में सोने की औसत सालाना खपत 800 टन (8 लाख किलो!!!) है। चीन में यह 600 टन केऔरऔर भी

दुनिया भर में सोने की बिक्री बढ़वाने में लगी विश्व स्वर्ण परिषद का कहना है कि भारत में इस त्योहारी सीजन में सोने के जेवरात की रिटेल ब्रिकी 10 से 15 फीसदी बढ़ सकती है। परिषद के निदेशक शिवराम कुमार ने कोच्चि में संवाददाताओं से कहा कि अब तक सोने की खरीदारी शादी-ब्याह के दौरान ही की जाती थी। लेकिन अब धारणा बदल रही है। उन्होंने कहा कि हमें इस साल त्योहारी सीजन में देश भर मेंऔरऔर भी

इधर हर कोई सोने में चल रही तेजी की वजह यूरोप के ऋण संकट और अमेरिका में आई आर्थिक सुस्ती को बता रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के बाजार विश्लेषक क्लाइड रसेल का कहना है कि इसकी असली वजह दुनिया के केंद्रीय बैंकों की खरीद के अलावा भारत व चीन के ग्राहकों की बढ़ी हुई मांग है जहां सोना खरीदना मुद्रास्फीति के बचाव के साथ-साथ स्टेटस सिम्बल भी बनता जा रहा है। क्लाइड रसेल काऔरऔर भी