।।संजय तिवारी।। दुनिया का तो पता नहीं लेकिन भारत में विचार के व्यापार का तरीका बड़ा वीभत्स हो गया है। जो व्यापार है उसमें विचारशून्यता अनिवार्य शर्त है लेकिन जहां विचार के प्रचार को ही व्यापार होना है वहां स्थिति बड़ी भयावह है। ज्ञान के बोझ को कांधे पर लादे भारत में विचारों का इतना अनादर आश्चर्य पैदा करता है। सत् तत्व को शब्द तक उतार लानेवाले भारतीय समाज में सद्विचार, सत्कर्म, सत्संग को समाप्त करने केऔरऔर भी

जापान के परमाणु बिजली संयंत्रों में हो रहे धमाकों का असर जर्मनी में दिख रहा है। जर्मनी ने मंगलवार को अपने सात सबसे पुराने परमाणु रिएक्टरों को अस्थायी तौर पर बंद करने का आदेश दे दिया। उसने जापान में परमाणु तबाही के बाद अपने सभी 17 परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की घोषणा किए जाने के एक दिन बाद यह आदेश दिया। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने पांच प्रांतों के मुखिया के साथऔरऔर भी

शुक्रवार को आए शक्तिशाली भूकंप और सुनामी से भयंकर आपदा में फंसे जापान का संकट आज, सोमवार को तब और गहरा गया जब फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में एक हाइड्रोजन विस्फोट हो गया। विस्फोट में तीन लोगों के घायल होने की खबर है। समाचार एजेंसी क्योदो के मुताबिक मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो एदानो ने कहा कि संयंत्र का परिचालन करने वाली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कापरेरेशन (टेप्को) ने विस्फोट की पुष्टि की है। विस्फोट से संयंत्र के कंटेनरऔरऔर भी

जापान के फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र के तीसरे रिएक्टर में भी कूलिंग सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया है। उसमें भीतर से दबाव बढ़ने लगा है और वहां कभी भी विस्फोट हो सकता है। इस तरह का अंदेशा जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव युकिओ एडानो और संयंत्र के ऑपरेटर ने जताया है। युकिओ एडानो ने रविवार को टोक्यो में दिए गए बयान में कहा कि भारी भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए न्यूक्लियर रिएक्टर वाली इमारत में हाइड्रोडनऔरऔर भी

संजय तिवारी आर्थिक मसलों पर काम करते समय भारत में मुख्य रूप से दो तरह की मानसिकता काम करती है। एक, वणिक मानसिकता और दूसरी किसान मानसिकता। उधार, लेन-देन और पूंजी से पूंजी का खेल वणिक मानसिकता है। लेकिन यह भी कोई स्वच्छंद व्यवस्था नहीं होती। इसका बाजार से ज्यादा सामाजिक सरोकारों से लेना-देना होता है। जिस भारतीय बैंकिग प्रणाली को आज हमारे वित्तीय प्रबंधक एक मजबूत व्यवस्था घोषित कर रहे हैं उसके मूल में यही सोचऔरऔर भी