शेयर बाज़ार में लांग टर्म के निवेश का फलना कोई जादू नहीं। अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ता है निवेश। अर्थव्यवस्था पस्त हो तो निवेश खोखला हो जाता है। जैसे, जापानी अर्थव्यवस्था पिछले बीस सालों से पस्त है तो जो निक्केई सूचकांक दिसंबर 1989 में 38,915 पर था, 23 साल चार माह बाद अभी 13,694 पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ने की अपार संभावना है तो यहां लंबे निवेश के फलने की गारंटी है। एक ऐसी ही संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

अजीब विरोधाभासों से भरा देश है अपना। यहां की 60 फीसदी से ज्यादा श्रमशक्ति कृषि पर निर्भर है। लेकिन खेतों में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिलते। मिलें भी तो कैसे? जहां 80 फीसदी से ज्यादा किसानों के पास ढाई एकड़ से कम जमीन हो और देश में जोतों का औसत आकार दस साल पहले 2001-02 में ही 3.5 एकड़ पर आ चुका हो, वहां मजदूर खेती-किसानी में काम करें भी तो किसके यहां। यहां तोऔरऔर भी