कभी सन्नामी अंतरराष्ट्रीय सलाहकार फर्म मैकेंजी के सरगना और गोल्डमैन सैक्श से लेकर प्रॉक्टर एंड गैम्बल व अमेरिकन एयरलाइंस जैसी बड़ी कंपनियों के निदेशक रह चुके अनिवासी भारतीय रजत गुप्ता की इज्जत का फालूदा बन चुका है। बुधवार को देर शाम अमेरिका की एक जिला अदालत ने उन्हें ‘धोखेबाज और बेईमान’ करार देते हुए दो साल की कैद और 50 लाख डॉलर जुर्माने की सज़ा सुना दी। फैसले के मुताबिक रजत गुप्ता की कैद 8 जनवरी 2013औरऔर भी

इसमें कोई दो राय नहीं कि हम सभी अभी सीखने के दौर में हैं और यह दौर लंबा खिंचेगा। सीखने का मतलब होता है कि पहले उस जड़ता को तोड़ना जो सालोंसाल में हमारे भीतर जड़ बना चुकी है। यह अपने-आप नहीं निकलती। निरंतर रगड़-धगड़ से इसे निकालना पड़ता है। इसका कोई शॉर्ट कट नहीं है। उसी तरह जैसे शेयर बाजार में सुरक्षित चलनेवाले आम निवेशकों के लिए कोई शॉर्ट टर्म नहीं होता। दुनिया के सबसे कामयाबऔरऔर भी

खरबपति निवेशक वॉरेन बफेट का कहना है कि यूरोप के ऋण संकट ने 17 सदस्यीय यूरोज़ोन की बुनियादी कमजोरी को उजागर किया है और महज बयानबाजी व घोषणाओं ने इसे नहीं सुलझाया जा सकता। सोमवार को जापान के दौरे के पहले बफेट ने सीएनबीसी से हुई बातचीत में कहा, “यह यूरो सिस्टम की प्रमुख व बुनियादी गड़बड़ी है। मैं जानता हूं कि अभी जो व्यवस्था चल रही है, उसमें बड़ी खामी है और यह खामी महज शब्दोंऔरऔर भी

हर कोई अधीर है। किसी को धैर्य नहीं। फटाफट नोट बनाने की पिनक है। दो-चार साल क्या, लोगबाग दो-चार महीने भी इंतजार करने को तैयार नहीं हैं। जो लोग लांग टर्म हैं, वे एफडी और पीपीएफ में लांग टर्म हैं। शेयर बाजार में तो वे भी शॉर्ट टर्म हैं। लोग कहने लगे हैं कि वॉरेन बफेट का जमाना लद गया। दुनिया का यह सबसे कामयाब निवेशक भी अपनी सोच बदल रहा है। मसलन, पहले बफेट टेक्नोलॉजी शेयरोंऔरऔर भी

अब निवेश के लिए मर चुका है लांग टर्म। लद चुका है लांग टर्म निवेश का ज़माना। आज का दौर खटाखट नोट बनाने का है। रुझान पकड़कर समझदारी से ट्रेडिंग करने का। बाजार चाहे गिरे, या बढ़े। बनाइए नोट खटाखट। दोनों ही हाल में कमाई। दोनों हाथों में लड्डू और सिर कढ़ाई में। जी हां, ऑनलाइन ट्रेडिंग एकेडमी का यही दावा है। उसका कहना है कि वह आपको हफ्ते भर में ऐसी ट्रेनिंग दे देगी कि आपऔरऔर भी

कभी सोचा है आपने कि हर निवेशक वॉरेन बफेट बनना चाहता है और भारत ही नहीं, दुनिया भर में हजारों लोग वॉरेन बफेट की तरह निवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनमें से इक्का-दुक्का ही यह हुनर और कामयाबी हासिल कर पाते हैं। इसका कोई जादुई नहीं, सीधा-सरल कारण है। पहले कुछ उदाहरणों पर नजर। उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट में जो निवेश किया, वह 38 सालों में 73 गुना हो गया। कोकाकोला में अपना निवेश उन्होंनेऔरऔर भी

पैसे का कोई पेड़ नहीं लगता कि गए और तोड़कर आ गए। यह किसी भी दौर के व्यापकतम सामाजिक अंतर्संबंधों में व्याप्त विनियम मूल्य का मूर्त स्वरूप है। यह सोमनाथ के ऐतिहासिक मंदिर में शिव की मूर्ति की तरह हवा में लटका हुआ दिख सकता है। लेकिन इसका पोर-पोर किसी न किसी ने दांतों से दबा रखा है। अंग्रेजी में कहावत है कि कहीं कोई फ्री लंच नहीं होता। इसलिए शेयर बाजार को पैसा बनाने का आसानऔरऔर भी

धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है कि सब शेयरों को थोक के भाव एक ही तराजू में नहीं तौला जा सकता। उसी तरह जैसे सब धान पाइस पसेरी नहीं तौलते। लांग टर्म या दो से दस साल के लिए अलग, मीडियम टर्म या दो महीने से दो साल तक के लिए अलग, शॉर्ट टर्म या हफ्ते दस दिन से दो महीने तक के लिए अलग और एकाध दिन की ट्रेडिंग के लिए अलग। फंडामेंटल्स के आधार परऔरऔर भी

अमेरिका अपने शेयर बाजारों में जारी गिरावट को रोकने के लिए शॉर्ट सेलिंग पर बैन लगा सकता है। असल में बराक ओबामा की सरकार अंदर ही अंदर मानती है कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) की तरफ से डाउनग्रेड किया जाना विशुद्ध रूप से आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक कदम है। इसलिए इसके पीछे काम कर रही लॉबी को बेअसर करना जरूरी है। सूत्रों के मुताबिक एस एंड पी के इस कदम को बदले की कार्रवाई भीऔरऔर भी

अमेरिका के डाउ जोंस सूचकांक मे 600 अंकों की भारी गिरावट ने आखिरकार भारत व एशिया में आई गिरावट की बराबरी कर दी। भारत का बाजार पिछले दस महीनों से गिर रहा था, जबकि डाउ जोंस खुद को मजबूती से 12300 पर टिकाए हुए था। लेकिन अब उसे असली झटका लग चुका है। असल में विकसित देशों को लौटकर गया धन अब वहां से निकलकर फिर से भारत उभरते बाजारों की तरफ बढ़ रहा है। खैर, हमारेऔरऔर भी