सकल पदारथ है जगमाँही, कर्महीन नर पावत नाहीं। लेकिन कर्म से पहले यह तो पता होना चाहिए कि आखिर हमें चाहिए क्या। इसके लिए ज्ञान जरूरी है। ज्ञान से हमारी दुनिया खुलकर व्यापक हो जाती है और हम सही चयन कर पाते हैं।और भीऔर भी

जिसके पास पैसा है, उसके पास पूंजी हो, जरूरी नहीं। जिसके पास पूंजी है, वह अमीर हो, जरूरी नहीं। पैसा उद्यम में लगता है तो पूंजी बनता है। दृष्टि सुसंगत बन जाए, तभी पूंजी किसी को अमीर बनाती है।और भीऔर भी

हमारा काम हमें विस्तार देता है। बड़ा काम करने के लिए उदार मन और सोच की जरूरत होती है। हर बड़े काम के साथ हमारा कद बढता है और हमारी सोच का दायरा भी और व्यापक हो जाता है।और भीऔर भी

हमने अपनी-अपनी खोली, अपने-अपने कोटर बना रखे हैं और उसी को सारी दुनिया माने बैठे रहते हैं। लेकिन दुनिया तो बहुत व्यापक और विविधत है। हमारे ऊपर है कि हम उसके कितने हिस्से को आत्मसात कर पाते हैं।और भीऔर भी