एक तरफ ब्याज दरों में वृद्धि, दूसरी तरफ सेटलमेंट का दिन। सो, हो गई निवेशकों के लिए सांप-छछूंदर की गति। न इधर, न उधर। न उगलते बनता है, न निगलते। ब्याज दरों में वृद्धि और कंपनियों के लाभार्जन में सुस्ती के चलते बाजार ओवरसोल्ड अवस्था में है। लेकिन ऑपरेटर बाजार के ज्यादातर ट्रेडरों के शॉर्ट होने जाने के विपरीत लॉन्ग हुए पड़े हैं। इसलिए दिशा तो बढ़ने की ही है। रविवार को इसी कॉलम में हमने आपकोऔरऔर भी

प्रकृति ने जो हमें दिया है, उसे मानकर चलना चाहिए। लेकिन समाज ने जो दिया है, वहां हम मानकर चलते हैं तो दूसरे की मौज हो जाती है। खुश रहने के लिए सतत असंतोष जरूरी है। संतोष तो बस छलावा है।और भीऔर भी

थोड़े में संतोष करना उस जमाने की सोच है जब राजा दिग्विजय करता था और प्रजा के पांव बंधे थे। मजबूरी से उपजी उस सोच को आज ढोते रहने का कोई मतलब नहीं हैं। आज हम सभी राजा हैं तो खुद को बांधे क्यों?और भीऔर भी