संत हो या संसारी या हो कलाकार, हर कोई बेचने में जुटा है। इसके बिना किसी का गुजारा नहीं। सत्ता का प्रश्रय भी उसे ही मिलता है जिससे सत्ता को चलाने का तुक मिलता है। आज तो भिखारी भी वही सफल है जो अपनी दयनीयता को बेच लेता है।और भीऔर भी

सफल होते ही लोग आपके दीवाने हो जाते हैं। पर, कोई यह नहीं देखता कि किन-किन हालात व संघर्षों से होड़ लेते हुए आप वहां पहुंचे हैं। कितना अजीब है कि शीर्ष पर पहुंचते ही आप निपट अकेले हो जाते हो।और भीऔर भी

देखने में सफलता कितनी भी व्यक्तिगत लगे, लेकिन मूलतः वह सामाजिक होती है। कोई विचार कितना ही अच्छा क्यों न हो, वह तब तक सफल नहीं होता जब तक उसे सामाजिक तानाबाना नहीं मिलता।और भीऔर भी