सबक मुसीबत के
जिंदगी के हाईवे पर मुसीबतें इसलिए नहीं आतीं कि आप लस्त होकर चलना ही बंद कर लें, बल्कि मुसीबतों का हर दौर आपको वह मौका उपलब्ध कराता है जब आप ठहरकर अब तक के सफर की समीक्षा और आगे की यात्रा की तैयारी कर सकते हैं।और भीऔर भी
जिंदगी के हाईवे पर मुसीबतें इसलिए नहीं आतीं कि आप लस्त होकर चलना ही बंद कर लें, बल्कि मुसीबतों का हर दौर आपको वह मौका उपलब्ध कराता है जब आप ठहरकर अब तक के सफर की समीक्षा और आगे की यात्रा की तैयारी कर सकते हैं।और भीऔर भी
चीजें जो कल थीं, आज नहीं हैं। आज जैसी हैं, वैसी कल नहीं रहेंगी। परिवर्तन का यही नियम है। यही जीवन है। इसलिए कल से चिपके रहने या आज को लेकर रोते रहने का कोई मतलब नहीं। सबक लो, बढ़ते चलो। यही सही है और उचित भी।और भीऔर भी
पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने तय किया है कि वह शुक्रवार को सेकंडों के भीतर निफ्टी के 5353 से गिरकर 5000 तक पहुंच जाने की जांच करेगी। एनएसई भी सब कुछ ठीक होने के दावा करने के बावजूद शुरुआती जांच शुरू कर चुका है। इससे पहले दीवाली की मुहूर्त ट्रेडिंग पर बीएसई में भी यह करिश्मा हो चुका है। उससे पहले जून 2010 में रिलायंस का शेयर एक दिन 20 फीसदी का धक्का खा चुका है।औरऔर भी
जब सारा बाजार शुक्रवार को लांग सौदे करने में लगा था, तब हमने कहा कि बजट बुरा है और निफ्टी को बेचो। निफ्टी धराशाई हो गया। आज प्री-ओपन सत्र में निफ्टी 5340.70 तक पहुंच गया और शुक्रवार से 0.37 फीसदी ऊपर था। लेकिन बाद में बाजार को बजट के बुरा होने का अहसास हुआ और निफ्टी लगातार गिरने लगा। अंत में 1.14 फीसदी की गिरावट के साथ 5257.05 पर बंद हुआ। इसी तरह निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरीऔरऔर भी
इंसान को अपने ही अंदाज में निखरने की ख्वाहिश रखनी चाहिए। दूसरा तो दूसरा ही है। हो सकता है ऊपर से कामयाब दिखता हो और अंदर से खोखला हो। उससे सबक सीखें, लेकिन कभी नकल न करें।और भीऔर भी
पहली तिमाही में जीडीपी की विकास दर का 8.8 फीसदी रहना बाजार की उम्मीद के अनुरूप है। हमने तो सोचा था कि यह 8.5 फीसदी रहेगी, लेकिन भारत की विकासगाथा मद्धिम नहीं पड़ी है। शुक्रवार को ऑपरेटरों की तरफ से कुछ बिकवाली हुई थी। यह बात उनके इंटरव्यू में भी जाहिर हुई। लेकिन सोमवार को एफआईआई की खरीद बेरोकटोक जारी रही। बाजार के ऑपरेटर निफ्टी को गिराकर 5250 तक ले जाना चाहते हैं। इसलिए हमें इसके लिएऔरऔर भी
कुछ लोग गलतियां किए चले जाते हैं, सीखते कुछ नहीं। दूसरे लोग अपनी ही गलती से सीखते हैं। तीसरी तरह के लोग अपनी ही नहीं, औरों की गलतियों से भी सीखते हैं। कामयाबी इन्हें ही सबसे जल्दी मिलती है।और भीऔर भी
© 2010-2020 Arthkaam ... {Disclaimer} ... क्योंकि जानकारी ही पैसा है! ... Spreading Financial Freedom