शेयर बाजार में लिस्टेड निजी कंपनियों को जून 2013 और सरकारी कंपनियों को अगस्त 2013 में अपनी इक्विटी में न्यूनतम पब्लिक हिस्सेदारी 25 फीसदी तक ले आनी है। निजी क्षेत्र की ऐसी 181 कंपनियां हैं, जिन्हें इस शर्त को पूरा करने के लिए 27,000 करोड़ रुपए के शेयर बेचने होंगे। वहीं, ऐसी 16 सरकारी कंपनियों को 12,000 करोड़ रुपए के शेयर पब्लिक को जारी करने होंगे। पूंजी बाजार नियामक, सेबी ने इस बाबत केंद्रीय कैबिनेट सचिव अजितऔरऔर भी

भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण दुनिया के शेयर बाजार का करीब 3% है। हमारे सबसे बड़े बैंक एसबीआई का लाभ चीन के सबसे बड़े बैंक का महज 10% है। निजी क्षेत्र में हमारी तेल व गैस की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज इसी क्षेत्र की फ्रांसीसी कंपनी टोटल के एक तिहाई आकार की है। ऊपर से हमारी 100 सबसे बड़ी कंपनियों के लाभ में 41% हिस्सा सरकारी कंपनियों, 41% हिस्सा परिवार नियंत्रित कंपनियों और बाकी 18% हिस्साऔरऔर भी

केंद्र सरकार 40,000 करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकारी कंपनियों के पब्लिक इश्यू के अलावा दूसरे रास्तों पर भी विचार कर सकती है। यह कहना है वित्त मंत्रालय से संबद्ध आर्थिक मामलात विभाग के सचिव आर गोपालन का। उन्होंने राजधानी दिल्ली में बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिन सरकारी कंपनियों के पास अच्छा कैश है, उन्हें दूसरी सरकारी कंपनियों में सरकार का हिस्सा खरीदने के लिए कहा जाऔरऔर भी

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) ने गरीबों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए रखी गई रकम का बड़ा हिस्सा मंत्री के लिए हेलीकॉप्टर किराये पर लेने व जनसंपर्क गतिविधियों पर खर्च किया है। कैग द्वारा गुरुवार को संसद में पेश रपट में यह खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि सेल ने 2006-10 के दौरान देश भर में अपने संयंत्रों में चिकित्सा शिविर लगाने पर 17.21औरऔर भी

सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों का औसत सालाना वेतन 2009-10 में 6.09 लाख रुपए रहा है। सार्वजनिक उद्यम विभाग के सर्वे के मुताबिक पिछले चार साल में इनके वेतन में 100 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2009-10 में सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों की संख्या 14.91 लाख थी, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह संख्या 15.34 लाख थी। इस तरह कंपनियों ने 43,000 कर्मचारी घटा दिए।और भीऔर भी

विदेशी निवेशक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विश्वास जता रहे हैं। कोल इंडिया, पावरग्रिड कॉरपोरेशन और एनटीपीसी जैसी नौ कंपनियों में हाल के दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की हिस्सेदारी बढ़ी है। पिछले दो साल में आईपीओ लानेवाली 11 सरकारी कंपनियों की शेयरधारिता के ताजा आंकड़ों के अनुसार नौ कंपनियों में चालू वित्त वर्ष 2010-11 की दिसंबर तिमाही में सितंबर तिमाही के मुकाबले एफआईआई की हिस्सेदारी बढ़ी है। हालांकि, ऑयल इंडिया और इंजीनियर्स इंडिया में एफआईआईऔरऔर भी

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को विदेश में खनन की परियोजनाओं के लिए त्वरित गति से मंजूरी देने पर विचार कर रही है। इससे विदेश में तेल, कोयला व खानों में निवेश के लिए प्रस्तावों को मंत्रिमंडल में बिना भेजे मंजूरी मिल सकेगी। सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव भास्कर चटर्जी ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट को बताया कि इससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को प्राकृतिक संसाधनों के खनन प्रस्तावों पर निवेश के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी कीऔरऔर भी

चीजें पल-पल बदलती रहती हैं। शेयर बाजार के ट्रेडरों तक को यह बात ध्यान में रखनी पड़ती है। लेकिन जिन्हें निवेश करना है उनके लिए हमारा बाजार अभी कतई ऐसी दशा में नहीं पहुंचा है कि यहां एक-एक पल या एक-एक दिन का हिसाब रखना पड़े। बेफिक्र रहिए क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकासगाथा अभी कम से कम आजादी की 75वीं सालगिरह साल 2022 तक चलनी है। इस बीच दुनिया की पुरानी स्थापित अर्थव्यवस्थाएं डोलमडोल होती रहेंगी। लेकिनऔरऔर भी

रमेश की व्यथा-कथा जारी है। कितने अफसोस की बात है कि उसने मेडिक्लेम करा रखा था जिसमें कैशलेस हास्पिटलाइजेशन की सुविधा थी। फिर भी बीमारी का खर्च उसने अपनी जेब से भरा। इसके बाद भी टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) उसके क्लेम दिलाने में आनाकानी करता रहा। टीपीए बीमा कंपनी और बीमित के बीच का दलाल होता है जनाब। और, दलालों की हरकत और फितरत तो आप जानते ही होंगे। तो, अब कहानी आगे की… रमेश ने हफ्तेऔरऔर भी

रमेश ने मेडिक्लेम ले लिया और खुद व अपने परिवार को सुरक्षित महसूस करने लगा। टीपीए क्या होता है, कौन-सा टीपीए होना चाहिए? यह सब न उनको उनके बीमा एजेंट ने बताया, न उन्होंने जानने की कोशिश की। उन्हें लगा कि व्यक्तिगत मेडिक्लेम से अच्छा है फेमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम पॉलिसी लेना, सो ले लिया। रमेश का सोचना बिल्कुल सही है कि फेमिली फ़्लोटर मेडिक्लेम पॉलिसी अच्छी है क्योंकि उस बीमा राशि का उपयोग परिवार का कोई भीऔरऔर भी