समय हथेलियों से फिसलती रेत की तरह निकलता जाता है। हाथ मलते रह जाते हैं हम कि इस साल भी खास कुछ नहीं कर पाए। तय करें कि नए साल के हर पल का तेल निकाल लेंगे, निरर्थक नहीं जाने देंगे।और भीऔर भी

किसी शिखर पर पहुंचने से ज्यादा अहमियत इस बात की है कि आप जो काम कर रहे हैं, उससे संतुष्ट हैं कि नहीं, वह आपको सार्थक लगता है कि नहीं। अगर हां तो फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे क्या सोचते हैं।और भीऔर भी

जो मनोरंजन हमारी पशु-वृत्तियों को पोसता है, वो कभी हमें आगे नहीं ले जा सकता। सार्थक मनोरंजन वही है जो बतौर इंसान हमें ज्यादा संवेदनशील बनाए, एकाकीपन से निकालकर ज्यादा सामाजिक बनाए।और भीऔर भी