हालात जितने मुश्किल हों, हमारी मुस्कान उतनी ही बढ़ जानी चाहिए। अन्यथा हम मुश्किलों से सीख नहीं पाएंगे। हम दुखी नहीं, खुश रहने पर ही सीख पाते हैं। और, खुश रहना एक मानसिक अवस्था है जिसकी कुंजी हमेशा हमारे हाथ में रहती है।और भीऔर भी

प्रकृति से कैसे निपटना है, यह तो हर जीव की तरह हम मां के पेट से सीखकर आते हैं। समाज से निपटने की शुरुआती सीख हमें घर-परिवार, स्कूल व परिवेश से मिलती है। फिर जंग में हम अकेले होते हैं।और भीऔर भी

सोचिए, आपके फैसले कोई दूसरा कैसे ले सकता है! अपने फैसले खुद लेने की आदत डालें और उसकी जवाबदेही भी लें। तभी आप गलत फैसलों से सही फैसलों तक पहुंचने का हुनर सीख पाएंगे।और भीऔर भी

कुछ लोग गलतियां किए चले जाते हैं, सीखते कुछ नहीं। दूसरे लोग अपनी ही गलती से सीखते हैं। तीसरी तरह के लोग अपनी ही नहीं, औरों की गलतियों से भी सीखते हैं। कामयाबी इन्हें ही सबसे जल्दी मिलती है।और भीऔर भी