दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं। न मौसम और न ही सरकार। ज़िंदगी में भी कुछ स्थाई नहीं। न सुख और न ही दुख। सब कुछ निरंतर बदलता रहता है। इसलिए जीवन में सफलता से आगे बढ़ने का एक ही तरीका है कि हम इस सच को स्वीकार कर लें।और भीऔर भी

पत्थर में न तो इच्छा होती है और न द्वेष। उसे न सुख होता है, न दुख। न ही पत्थर अपना रूप बनाए रखना चाहता है, जबकि ये अनुभूतियां ही प्राणियों की पहचान और उनके जीवन का मूल तत्व हैं।और भीऔर भी

जब तक आप इंद्रियों के जाल में फंसे हो, पुरुष स्त्री और स्त्री पुरुष को देखकर खिंचती है, खाने को देखकर लार टपकती है, तब तक आप बन रहे होते हैं, बड़े नहीं होते। वयस्क होने के बावजूद छोटे रहते हो।और भीऔर भी

जो चीज सालों से नहीं बदली, उसे बदलने का सुख ही सृजनात्कता का सुख है। बदलने की ललक हो, जीवट हो तो अंदर से ऊर्जा के बुलबुले उठते हैं। ये बुलबुले खुशी की चहक व ताजगी साथ लेकर आते हैं।और भीऔर भी

सेंसेक्स और निफ्टी की बात करें तो बाजार सुबह से दोपहर तक गिरता रहा, लेकिन अंत आते-आते संभल गया। फिर भी बीएसई के मिड कैप और स्मॉल कैप सूचकांक क्रमशः 0.79 फीसदी और 1.38 फीसदी बढ़ गए। एक बात ध्यान रखें कि बाजार में करेक्शन यानी गिरावट आए या न आए, कंपनी विशेष के बारे में कोई नई सूचना लानेवाली खबर उसके शेयरों के भावों को बढ़ा देगी। हम अबन ऑफशोर, बीजीआर एनर्जी, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), रिलायंसऔरऔर भी

जीने की चाह में मरे जा रहे हैं। अस्सी साल, नब्बे साल, सौ साल। इत्ता जीकर क्या करोगे बापू? असली सुख तो पाया नहीं! जाना ही नहीं कि हमारे अंदर-बाहर जो भी हो रहा है, वो हो क्यों रहा है असल में।और भीऔर भी

लक्ष्मी धन-संपदा लाती हैं। दुर्गा हमें निर्भय बनाती हैं। लेकिन धन-दौलत और सुरक्षा से ही कोई सुखी इंसान नहीं बन जाता है। सुख की तीसरी शर्त पूरी करती हैं संगीत, कला और विद्या की देवी सरस्वती।और भीऔर भी