सोचना देश के लिए
देश के लिए सोचना आसान है, करना कठिन। सोचने के लिए बस भावना चाहिए, जबकि करने के लिए सही हालात का सच्चा ज्ञान जरूरी है। भावना में सच्चे, ज्ञान में कच्चे रहे तो सत्ता के लिए लार टपकाता कोई समूह हमारा इस्तेमाल कर लेता है।और भीऔर भी
रैखिक बनाम गोलाकार
इंसान की नज़र की सीमा है कि वह रैखिक ही देख सकता है। इसलिए रैखिक ही सोचना सहज है। लेकिन हकीकत यह है कि इस दुनिया में ही नहीं, पूरी सृष्टि में हर चीज का आकार आखिरकार गोल है। इसलिए सहज सोच अक्सर कारगर नहीं साबित होती।और भीऔर भी
चोट पर सोच
कमजोर, कायर, काहिल, नाकारा, हवाबाज़ कहलाना किसको अच्छा लगता है। गालियों जैसी चोट करते हैं ये शब्द। लेकिन अगर कोई कह रहा है तो कुछ तो होगा। थोड़ा ठहरकर सोचने में क्या हर्ज है?और भीऔर भी