स्विटजरलैंड अपनी छवि सुधारने में जुट गया है। दुनिया भर में कालेधन के लिए स्वर्ग व करचोरों की पनाहगाह के रूप में मशहूर स्विटजरलैंड की सरकार ने अपने बैंकों से कालेधन पर निगाह रखने को कहा है। स्विस सरकार का दावा है कि उसके इस निर्देश से कालेधन के खिलाफ लड़ाई में भारत जैसे देशों को काफी मदद मिल सकती है। स्विस सरकार ने अपने बैंकों से कहा कि वह ग्राहकों की गोपनीयता शर्तों को तोड़े बिनाऔरऔर भी

यूं तो आज के समय में कंपनियों के साथ राष्ट्रीयता या राष्ट्रवाद को जोड़ने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि देशी-विदेशी हर कंपनी का मकसद अंधाधुंध मुनाफा कमाना है। अन्यथा, वॉलमार्ट या केयरफोर से सबसे ज्यादा चोट खा सकने वाले बिग बाज़ार या रिलायंस फ्रेश जैसे देशी रिटेलर ही उनका स्वागत पलक पांवड़े बिछाकर नहीं कर रहे होते। किशोर बियानी जैसे लोग तो इस चक्कर में हैं कि अपने उद्यम की इक्विटी इन विदेशियों को बेचकर कैसेऔरऔर भी

अभी तक बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी कहते रहे थे कि स्विस बैंकों में भारतीयों ने 25 लाख करोड़ रुपए की काली कमाई जमा कर रखी है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सरकार को घेरनेवाले जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी तक इस काले धन की मात्रा 17 लाख करोड़ रुपए बताते रहे हैं। लेकिन अब खुद सरकार की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने खुलासा किया है कि विदेशी बैंकों में भारतीयों के करीब 24.5औरऔर भी

बर्फ से ढंके यूरोपीय देश स्विटजरलैंड के दावोस शहर में दुनिया भर के प्रभुता-संपन्न और एक फीसदी अमीरतम लोगों के नुमाइंदे अपनी सालाना बहस के लिए जुट चुके हैं। आल्प्स की खूबसूरत पहाड़ियों और बर्फीली वादियों के बीच वे आज, 25 जनवरी बुधवार से 29 जनवरी रविवार तक विश्व अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा पर विचार करेंगे। लेकिन उनके साथ जिरह करने के लिए दुनिया के 99 फीसदी वंचितों के प्रतिनिधियों ने भी इग्लू के कैंपों में डेरा डालऔरऔर भी

कहते हैं कि अभूतपूर्व संकट का समाधान भी अभूतपूर्व होता है। ऐसा पहली बार हुआ कि दुनिया के छह केंद्रीय बैंकों ने एक साथ मिलकर दुनिया के वित्तीय तंत्र को नकदी मुहैया कराने और डॉलर स्वैप के मूल्यों को थामने की पहल की है। ये छह केंद्रीय बैंक हैं – अमेरिका का फेडरल रिजर्व, ब्रिटेन का बैंक ऑफ इंग्लैंड, यूरोज़ोन का यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) और कनाडा. जापान व स्विटजरलैंड के केंद्रीय बैंक। इन बैंकों ने व्यापारऔरऔर भी

सरकार ने देश के बाहर और भीतर बेहिसाब धन व आय से अधिक सम्पत्ति का अनुमान लगाने और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके पड़नेवाले असर का पता लगाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया गया है। इसकी रिपोर्ट सितंबर 2012 तक मिल जाएगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने गुरुवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने वित्त संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर यह अध्ययन शुरू किया है। उन्होंने बताया कि यहऔरऔर भी

सरकार ने कहा है कि स्विटजरलैंड समेत दस देश अपने यहां भारतीयों द्वारा जमा कराए गए काले धन के बारे में जानकारी देने को तैयार हैं। वित्त राज्यमंत्री एस एस पलानी मणिक्कम ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार सूचना के प्रभावी आदान-प्रदान के लिए उपयुक्त कानूनी ढांचा तैयार कर रही है। उन्होंने बताया कि भारत और स्विटजरलैंड ने दोहरा कराधान निषेध संधि को संशोधित करने वाले प्रोटोकॉल परऔरऔर भी

जिस टैक्स को बचाने के लिए लोगबाग अपना धन स्विटजरलैंड के बैंकों में जमा कराते हैं और वह सफेद से काला हो जाता है, उस पर स्विटजरलैंड सरकार ने टैक्स लगाने की शुरुआत कर दी है। ब्रिटेन व जर्मनी के साथ खास समझौते के बाद स्विस बैंकों में जमा वहां के नागरिकों के कालेधन पर टैक्स लगाया जाएगा। भारत व स्विटजरलैंड के बीच ऐसी संधि हो जाने पर भारतीयों के कालेधन पर भी स्विटजरलैंड में टैक्स लगायाऔरऔर भी

महीने का आखिरी गुरुवार। डेरिवेटिव सेगमेंट में सेटलमेंट का आखिरी दिन। निफ्टी का 4820 या 5000 होना इस बात पर निर्भर था कि बाजार चलानेवालों ने ऑप्शंस में किस तरफ का कॉल या पुट प्रीमियम पकड़ा है। जैसा पहले सामने आ चुका है कि 4600 पर पुट सौदे की बड़ी पोजिशन बन चुकी थी तो निश्चित रूप से 4600 की गुंजाइश खत्म हो गई थी। दूसरी तरफ ऐसा लगता है कि उन्होंने 5000 और 5100 की कॉलऔरऔर भी

देश में भले ही स्विटजरलैड के बैंकों में रखे काले धन को लेकर राजनीतिक माहौल बना दिया गया हो, लेकिन भावना से परे हटकर देखें तो यह रकम बहुत मामूली है। स्विटजरलैंड के केंद्रीय बैंक के मुताबिक उनके देश के बैंकों में रखे गए विदेशी नागरिकों के कुल धन में भारतीयों का हिस्सा महज 0.07 फीसदी है। यह पाकिस्तान से भी कम है। जैसे अपना केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक है, वैसे ही स्विटजरलैंड का केंद्रीय बैंक,औरऔर भी