सुप्रीम कोर्ट में जिस कंपनी की पैरवी देश के पूर्व सोलिसिटर जनरल हरीश साल्वे और कांग्रेस के प्रवक्ता व जानेमाने वकील अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हों, उसका जीतना कोई मुश्किल नहीं था। वह भी तब, जब मामला किसी विदेशी कंपनी का हो और हमारी सरकारी विदेशी निवेश को खींचने के लिए बेताब हो। इन दोनों प्रख्यात वकीलों की तगड़ी पैरवी की बदौलत वोडाफोन ने सुप्रीम कोर्ट में वह मामला जीत लिया जिसमें उसे पहले बॉम्बे हाईकोर्टऔरऔर भी

वोडाफोन तीन साल पहले 2007 में हचिसन के भारतीय कारोबार को खरीदने पर कोई टैक्स देने के मूड में नहीं है। इसी महीने 8 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला सुना चुका है कि यह भारतीय संपत्ति के हस्तांतरण का मसला है। इसलिए इस पर वोडाफोन को कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ेगा। लेकिन वोडाफोन टैक्स न देने के अपने दावे पर कायम है। उसने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिस पर अगलीऔरऔर भी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के खिलाफ दायर ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उसने कहा था कि विभाग को भारतीय सीमा से बाहर हुए विलय के सौदे पर टैक्स लगाने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने बुधवार को सुनाए गए अंतिम फैसले में कहा है कि अधिकार क्षेत्र के आधार पर आयकर विभाग के आदेश को रोका नहीं जा सकता। अब वोडाफोन को करीब 12,000 करोड़ रुपए का टैक्स अदाऔरऔर भी