बिगड़ता जा रहा है भावों का सिग्नल
शेयरों के भाव लंबे समय में यकीनन कंपनी के कामकाज और भावी संभावनाओं से तय होते हैं। लेकिन पांच-दस दिन की बात करें तो बड़े खरीदार या विक्रेता उनमें मनचाहा उतार-चढ़ाव ला देते हैं। यह भारत जैसे विकासशील बाज़ार में ही नहीं, अमेरिका जैसे विकसित बाज़ार तक में होता है। इधर एल्गो ट्रेडिंग के बारे में कहा जा रहा है कि उसने भावों का पूरा सिग्नल ही गड़बड़ा दिया है। इन सच्चाइयों के बीच हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी