शेयरों में ट्रेडिंग और निवेश में सफलता इससे नहीं मिलती कि कितनी तेज़ सूचनाएं आप तक पहुंचती हैं या आपने कितनी पोथियां बांच रखी हैं। यहां सफलता इस बात से तय होती है कि वाजिब सूचनाएं और शिक्षा आप तक पहुंची है या नहीं। मेरे एक मित्र हैं। कुछ दिनों पहले तक फेसबुक पर निवेश व ट्रेडिंग की सलाहें खटाखट मुफ्त में दिया करते थे। लेकिन फालतू-निरर्थक निकला तो एकाउंट बंद कर दिया। अब शुक्रवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी

विदेशी संस्थागत निवेशकों का खेल बड़ा व्यवस्थित होता है। कैश सेगमेंट में कोई स्टॉक खरीदा तो डेरिवेटिव सेगमेंट में उसके अनुरूप फ्यूचर्स बेच डाले। दोनों के भाव में 10% सालाना का अंतर हुआ तो वे मजे में आर्बिट्राज करते हैं। उनका लक्ष्य है रुपए डॉलर की विनिमय दर के असर के बाद कम से कम 6-8% कमाकर वापस ले जाना। टैक्स उन्हें देना नहीं होता। जेटली ने कृपा और बढ़ा दी। उनसे सीखते हुए अभ्यास आज का…औरऔर भी

कुछ दिनों से बाज़ार में गिरावट का जो सिलसिला चला है, उसमें तमाम लोगों के दिमाग में स्वाभाविक-सी शंका उभरी है कि कहीं तेज़ी का मौजूदा दौर निपट तो नहीं गया! अतीत का अनुभव ऐसा नहीं कहता। जनवरी 1991 से नवंबर 2010 के दरमियान तेज़ी के चार दौर तभी टूटे थे, जब सेंसेक्स 24 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड हो रहा था। अभी सेंसेक्स का पी/ई अनुपात 18.44 चल रहा है। घबराहट को समेटकर वार मंगलवार का…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में आग-सी लगी है। सेंसेक्स और निफ्टी थोड़ा दम मारने के बाद नया ऐतिहासिक शिखर बना डालते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) इस साल 1 जनवरी से कल 5 मई तक भारतीय शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट में 35,559 करोड़ रुपए (करीब 590 करोड़ डॉलर) की शुद्ध खरीद कर चुके हैं। ऐसा तब है जब जनवरी से ही अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने बांडों की खरीद घटा दी है। ऐसे में है सावधानी की दरकार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग खुद गाड़ी ड्राइव करने जैसा है, जबकि लंबा निवेश ट्रेन से लंबी दूरी के सफर जैसा है। ड्राइविंग के तौर-तरीके आप सीख सकते हैं। लेकिन ट्रैफिक के बीच अगल-बगल की गाड़ियों से दूरी का सेंस, कहां से कट मारकर कहां निकलना है, यह हरेक के अपने अंदाज़, फितरत और अभ्यास पर निर्भर करता है। वहीं, ट्रेन में टिकट लिया और निश्चिंत होकर सो गए। मंज़िल आने पर उतर लिए। अब शुक्र की ट्रेडिंग…औरऔर भी

भावों में छिपा है कंपनी का सारा हाल, उसी तरह जैसे नाड़ी खोल देती है शरीर का सारा राज़। लेकिन कुशल वैद्य ही नाड़ी की धड़कन पढ़ सकता है तो भावों का चार्ट पढ़ने के लिए भी चाहिए विशेष दृष्टि। सबसे खास है यह पकड़ना कि किसी वक्त बड़े निवेशकों/संस्थाओं की तरफ से आनेवाली मांग और सप्लाई का ठीक-ठीक संतुलन क्या है? यह पकड़ लिया तो समझिए, हाथ लग गई बाज़ार की नब्ज। अब गुरुवार की दृष्टि…औरऔर भी

दुनिया पहले से सोचे ढर्रे पर चलती रहे तो जीवन का सारा थ्रिल खत्म हो जाए। अनिश्चितता के पहलू को कभी नज़रअंदाज़ करके नहीं चला जा सकता। कल भी यही हुआ। सब माने बैठे थे कि रूस यूक्रेन पर हमला करने ही वाला है। लेकिन ऐनवक्त पर पुतिन ने रूसी सेनाओं को वापस बुलाने का आदेश दे दिया। भारत समेत दुनिया भर के बाज़ार इस अप्रत्याशित कदम से चहचहाने लगे। अब देखें बुधवार की दस्तक क्या है…औरऔर भी

यूं तो परिचित हैं हज़ारों। पर काम के दोस्त अक्सर 40-50 से ज्यादा नहीं होते। दरअसल इससे ज्यादा ज़रूरत भी नहीं। इसी तरह निवेश व ट्रेडिंग में हमें अपने व्यक्तित्व के हिसाब से स्टॉक्स चुनने चाहिए। ज्यादा से ज्यादा 40 कंपनियों में निवेश हो तो उनका अलग-अलग रिस्क कटकर मिट जाता है। ट्रेडिंग के लिए भी 20 स्टॉक्स बहुत होते हैं। इनसे गहरी पहचान हो तो कमाना आसान हो जाता है। अब करें नए साल-2014 का आगाज़…औरऔर भी

कल कोल इंडिया और एनटीपीसी दोनों में सुबह-सुबह मीडिया में नकारात्मक खबरें आ गईं। फिर भी कोल इंडिया का शेयर 1.26% और एनटीपीसी का शेयर 2.32% बढ़ गया। इसीलिए हम सावधान करते आए हैं कि आम लोगों को छपी खबरों के आधार पर ट्रेड नहीं करना चाहिए। असल में खबरों के आने और जाहिर होने का जो भी समीकरण है, वो हमारे लिए झांसे जैसा है। भावों में ही हर ऊंच-नीच समाहित है। अब गुरु का बाज़ार…औरऔर भी

शनिवार को एक शख्स से मिला जिनका अंदाज़ देखकर दिल गदगद हो गया। साथ गए सज्जन के मुंह से जैसे ही ‘टिप’ शब्द निकला, भाई पलटकर बोला, “टिप वेटर लेते हैं और मैं कोई वेटर नहीं हूं।” वाकई वेटर की मानसिकता से ट्रेडिंग में कामयाबी नहीं मिल सकती। किसी भी सलाह को जब तक आप अपने सिस्टम पर अलग-अलग टाइमफ्रेम में परख नहीं लेते, तब तक उस पर ट्रेडिंग करना गलत है। अब परखें मंगल की दशा-दिशा…औरऔर भी