।।पॉल क्रुगमैन*।। हाल की आर्थिक दिक्कतों का एक सबक इतिहास की उपयोगिता के रूप में सामने आया है। इस बार का संकट जब उभर ही रहा था, तभी हार्वर्ड के दौ अर्थशास्त्रियों कारमेन राइनहार्ट और केनेथ रोगॉफ ने बड़े ही चुटीले शीर्षक – This time is different से एक जबरस्त किताब छपवाई। उनकी स्थापना थी कि संकटों के बीच काफी पारिवारिक समानता रही है। चाहे वो 1930 के दशक के हालात रहे हों, 1990 के दशक केऔरऔर भी

शेयर बाजार में इस वक्त निवेशकों का नहीं, ट्रेडरों का बोलबाला है। 3 अक्टूबर को बाजार खुलने से पहले हमने ज्यादा कुछ न बताकर इतना कहा था कि नेस्को बहुत ही मजबूत और संभावनामय कंपनी है। इसमें बढ़त का रुझान भी है। बस क्या था? संकेत मिला नहीं कि ट्रेडरों की मौज हो गई। रण बीच चौकड़ी भरने लगे। एकदम चेतक की तरह, जिसके बारे में कविता है कि राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतकऔरऔर भी

सर्च इंजन गूगल और कंप्यूटर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी एप्पल स्मार्टफोन, टैब्लेट्स और दूसरी मोबाइल प्रौद्योगिकी से ग्राहकों की निजता या प्राइवेसी के अधिकार के हनन के मुद्दे पर अमेरिकी संसद को सफाई देंगी। ये कंपनियां अगले माह एक संसदीय समिति के समक्ष अपनी सफाई देने के लिए सहमत हुई हैं। इन दोनों अमेरिकी कंपनियों के प्रतिनिधि 10 मई को अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट की न्यायिक समिति के समक्ष पेश होंगे। समिति के अध्यक्ष पैट्रिक लेही नेऔरऔर भी