म्यूचुअल फंड मूलतः शेयर बाज़ार तक आम/रिटेल निवेशकों की पहुंच बनाने के लिए बने हैं। लेकिन अपने यहां रिटेल निवेशक लगातार उनसे दूर होते जा रहे हैं। कमाल की बात यह है कि दूसरी तरफ म्यूचुअल फंडों की आस्तियां बढ़ती जा रही हैं जिससे उनके फंड मैनेजरों का वेतन भी बढ़ रहा है। आस्तियों या एयूएम के बढ़ने की खास वजह है कि कंपनियों और अमीर लोगों के लिए म्युचुअल फंडों की ऋण स्कीमें ब्याज कमाने काऔरऔर भी

आम निवेशक ज़रा-सा मौका मिलते ही म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से तौबा कर ले रहे हैं। अभी बीते सितंबर महीने में उन्होंने इन इक्विटी स्कीमों से 3306 करोड़ रुपए निकाले हैं। यह जानकारी म्यूचुअल फंडों के साझा मंच, एम्फी की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों में दी गई। ये आंकड़े तैयार तो शुक्रवार, 5 अक्टूबर को ही कर लिए गए थे। लेकिन जारी इन्हें सोमवार को किया गया। किसी भी एक महीने में म्यूचुअल फंडों कीऔरऔर भी

फरवरी महीने में शेयर बाजार की गति को दिखानेवाला सूचकांक, निफ्टी 4 फीसदी बढ़ गया। लेकिन इस बढ़त से म्यूचुअल फंडों की आस्तियां (एयूएम) महज 2 फीसदी बढ़ी हैं। नोट करें कि यह म्यूचुअल फंड स्कीमों में आए निवेश का नहीं, बल्कि बाजार के बढ़ने से उनके निवेश में हुई बढ़त या मार्क टू मार्केट उपबल्धि को दर्शाता है। बाजार के बढ़ने की वजह फरवरी में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की तरफ से शेयरों में किया गयाऔरऔर भी

अनिल अंबानी समूह से जुड़ा रिलायंस म्यूचुअल फंड बीते वित्त वर्ष 2010-11 में देश का सबसे ज्यादा मुनाफा कमानेवाला म्यूचुअल फंड बन गया है। अभी तक यह गौरव एचडीएफसी म्यूचुअल फंड को हासिल था। म्यूचुअल फंडों के शीर्ष संगठन एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में रिलायंस म्यूचुअल फंड का शुद्ध लाभ 261 करोड़ रुपए रहा है, जबकि एचडीएफसी म्यूचुअल फंड का शुद्ध लाभ इससे कम 242 करोड़ रुपए दर्ज कियाऔरऔर भी

देश में म्यूचुअल फंडों की संख्या बढ़ते-बढ़ते 41 पर पहुंच गई है। लेकिन इनकी आस्तियों का आधे से ज्यादा, 55 फीसदी हिस्सा पांच बड़े म्यूचुअल फंडों के पास है। मार्च 2011 तक के आंकड़ों के मुताबिक म्यूचुअल उद्योग की कुल आस्तियां (एयूएम) 7 लाख करोड़ रुपए की हैं। इसमें से 4 लाख करोड़ की आस्तियां रिलायंस म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड, यूटीआई म्यूचुअल फंड और बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड के पास हैं।और भीऔर भी

चालू खाते के बढ़ते घाटे से परेशान सरकार देश में विदेशी पूंजी को खींचने की हरचंद कोशिश कर रही है। इसी के तहत 2011-12 के बजट में जहां कॉरपोरेट बांडों को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निवेश सीमा बढ़ाकर 40 अरब डॉलर कर दी गई है, वहीं म्यूचुअल फंडों को अपनी इक्विटी स्कीमों में सीधे विदेशी निवेशकों से अभिदान या सब्सक्रिप्शन लेने की इजाजत दे दी गई है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने यह घोषणा करते हुएऔरऔर भी

18 फरवरी, शुक्रवार को यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक यू के सिन्हा पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के नए चेयरमैन बनने जा रहे हैं। लेकिन लगता है कि उनके स्वागत की तैयारियों में सेबी ने अभी से ही म्यूचुअल उद्योग के प्रति अपना नजरिया बदलना शुरू कर दिया है। कम से कम वह यह दिखाने की कोशिश में है कि उसने हमेशा म्यूचुअल फंड उद्योग का भला सोचा है और अब भी उसकेऔरऔर भी

अगस्त 2009 में पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी द्वारा एंट्री लोड खत्म कर देने से म्यूचुअल फंडों की आस्तियां जरूर घटी हैं, लेकिन उनका शुद्ध लाभ बहुत ज्यादा बढ़ गया है। निवेश संबंधी रिसर्च से जुड़ी फर्म मॉर्निंगस्टार की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2009-10 में म्यूचुअल फंडों को संचालित करनेवाली एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) का औसत शुद्ध लाभ तीन गुना या 300 फीसदी बढ़ गया है। 2009-10 में देश के सभी म्चूचुअल फंडों काऔरऔर भी

दो साल पुराने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बैंकिंग व फाइनेंस क्षेत्र के निवेश को सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाने लगा है। लेकिन हमारे म्यूचुअल फंडों ने अपना सबसे ज्यादा निवेश इसी क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में कर रखा है। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के मिली जानकारी के मुताबिक मई अंत तक  म्यूचुअल फंडों ने अपनी कुल आस्तियों का 14.14 फीसदी हिस्सा बैंकों और 5.01 फीसदीऔरऔर भी