भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने टीम इंडिया का प्रायोजन जारी रखने के लिए सहारा इंडिया समूह की कई मांगें मान ली हैं। इससे दोनों के बीच करीब दो हफ्ते से छिड़ा विवाद सुलझ गया है। सहारा की तरफ से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया है कि वह भारतीय टीम का प्रायोजन जारी रखेगा। बीसीसीआई ने सहारा की सबसे बड़ी मांग मान ली है कि उसे पुणे वॉरियर्स में पांच विदेशी खिलाड़ियों को शामिल करनेऔरऔर भी

साल 2001 से लेकर बीते ग्यारह सालों में लगातार टीम इंडिया के आधिकारिक प्रायोजक रहे सहारा इंडिया परिवार ने क्रिकेट से ही नाता तोड़ने का फैसला कर लिया है। वह न तो अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से कोई नाता रखेगा और न ही इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भागादारी करेगा। सहारा ने बीसीसीआई से अनुरोध किया है कि आईपीएल टीम पुणे वॉरियर्स की टीम किसी और को दे दी जाए। सहारा ने वर्ष 2010 मेंऔरऔर भी

करीब साल-सवा साल पहले हमारे चक्री महाराज इंडिया सीमेंट्स को झकझोरे पड़े थे। सीमेंट के धंधे के साथ-साथ आईपीएल की चेन्नई सुपर किंग टीम की मालिक इस कंपनी का शेयर तब 140 रुपए के आसपास चल रहा था। चक्री का दावा था, “अगले दो-तीन सालों में आईपीएल टीम के मूल्यांकन के दम पर इंडिया सीमेंट का शेयर 450 रुपए तक जा सकता है। अभी फिलहाल अगले कुछ महीनों में तो इसमें 100 रुपए के बढ़त की पूरीऔरऔर भी

पूरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ गोलबंद। दस करोड़ एसएमएस। देश के करीब 80 शहरों से 44 लाख ट्वीट। पुरानी पीढ़ी से लेकर नई पीढ़ी तक। जगह-जगह हजारों लोग हाथों में मोमबत्तियां लिए अण्णा हजारे के साथ आ खड़े हुए। सरकार को इस जन-उभार के आगे झुकना पड़ा। इसी के साथ एक और बात सामने आई है कि हम जिन्हें राष्ट्रवाद के साथ जोड़कर देखते हैं, हमारे वे क्रिकेट खिलाड़ी केवल उस बीसीसीआई के लिए खेलते हैं जिसकेऔरऔर भी