अगर आप शेयरों की ट्रेडिंग में दिलचस्पी रखते हैं तो डब्बा ट्रेडिंग का नाम ज़रूर सुना होगा। हर गैर-कानूनी काम की तरह यह भी हल्के-फुल्के मुंगेरीलाल टाइप लोगों को खूब खींचता है। कोई लिखा-पढ़ी नहीं, रिकॉर्ड नहीं, सारा लेनदेन कैश में, सारी कमाई काली। फिर इनकम टैक्स देने या रिटर्न भरने का सवाल ही नहीं। सारे सौदे स्टॉक एक्सचेंज के बाहर होते हैं तो सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन का सवाल ही नहीं उठता। साथ ही कोई दिक्कत आने याऔरऔर भी

संवत 2073 बीत गया। नया संवत 2074 शुरू हो रहा है। सभी शुभलाभ के लिए शुभ शुरुआत की कामना रखते हैं। यह बहुत अच्छी बात है और सहज मानव स्वभाव का हिस्सा है। लेकिन वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में जहां हर दिन नहीं, हर पल हालात व भाव बदलते हों, वहां क्या कोई शुभ शुरुआत अपने-आप में पर्याप्त हो सकती है? यहां तो बराबर ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ वाली स्थिति रहती है। इसी फ्रेम में हमें मुहूर्तऔरऔर भी

दशकों पहले शेयर बाज़ार ब्रोकरों का बंद क्लब हुआ करता था। 1992 में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग आने से पहले तक वे अपनी चौपड़ी पर भाव नोट करके हल्ला मचाते थे। भाव भरोसे का खेल था। ब्रोकर जो बोले, वही भाव। लेकिन अब उनकी हर हरकत तो नहीं, लेकिन हर भाव सामने आ जाता है। मिनट-मिनट का भाव कंप्यूटर स्क्रीन पर। हमारा काम इन भावों को पकड़कर स्टॉक के पीछे की हरकत को समझना है। अब आज का ट्रेड…औरऔर भी

देश पर लगता है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग का जुनून सवार है। आपको यकीन नहीं आएगा कि वित्त वर्ष 2001-02 से 2012-13 के बीच के ग्यारह सालों में इक्विटी फ्यूचर्स व ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में रोज़ का औसत टर्नओवर 71.18 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ता हुआ 420 करोड़ से 1,55,048 करोड़ रुपए पर पहुंच चुका है। अभी कल, 18 अक्टूबर 2013 को एनएसई के एफ एंड ओ सेगमेंट का टर्नओवर 1,67,558 करोड़ रुपए रहाऔरऔर भी

यूं तो अनजान या कम जानकार निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार में लंबे समय का ही निवेश करना चाहिए जिसके लिए ‘तथास्तु’ आपकी अपनी भाषा में उपलब्ध इकलौती और सबसे भरोसेमंद सेवा है। फिर भी अगर आपने ट्रेडिंग का मन बना ही लिया है तो आप सबसे पहले यह समझ लीजिए कि आप जैसी और आपसे ठीक उलट राय रखने वाले लाखों लोग सामने मैदान में डटे हैं। उन्हें भी अपना धन और मुनाफा उतना ही प्याराऔरऔर भी

कल शाम एक समझदार और अपेक्षाकृत ईमानदार ब्रोकर (क्योंकि ज्यादातर ब्रोकर केवल अपने धंधे के प्रति ईमानदार होते हैं, हमारे प्रति नहीं) से बात हो रही है। उनका कहना था कि हर समय हर किसी के लिए ट्रेड करने का नहीं होता। जैसे, इस समय जितनी वोलैटिलिटी चल रही है, निफ्टी दिन में अक्सर 200-250 अंक ऊपर नीचे होने लगा है, उसे देखते हुए हमें मैदान बड़ों के लिए छोड़ देना चाहिए। नहीं तो हम पिस जाएंगेऔरऔर भी

ईमानदार अर्थव्यवस्था में लोग पूरा दम लगाकर कठिन कठोर मेहनत करते हैं क्योंकि उन्हें मेहनत का फल पाने का यकीन होता है। वे अपनी तरफ से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते। जोखिम उठाते हैं। मौकों को हाथ से नहीं जाने देते। अंततः कुछ अपने उत्पाद और सेवा के दम पर कामयाब होते हैं तो कुछ किस्मत के दम पर। लेकिन कामयाबी और नाकामी में एक पैटर्न होता है। एक तरह की सच्चाई होती है। वहीं, जब अर्थव्यवस्था परऔरऔर भी

आज के जमाने में सच्ची देशभक्ति का मतलब है उन लोगों को बेनकाब करना जो राष्ट्र की संपदा की निजी लूट में शामिल हैं। वे राष्ट्रद्रोही हैं जो जनता से मिले टैक्स या राष्ट्र के नाम पर लिए गए कर्ज का अपव्यय कर दलालों की तिजोरी भर रहे हैं।और भीऔर भी