बिजनेस चैनलों का अपना बिजनेस मॉडल है। ज्ञान देते एनालिस्टों के खाने कमाने का अपना मॉडल है। आर्थिक अखबारों का अलग बिजनेस मॉडल है। हम जित्ता इन्हें देखते या पढ़ते हैं, इनका धंधा उत्ता चमकता है। मुनाफा ही उनका ध्येय है, खबर उनका धंधा है। हमारा भला उनके लिए रत्ती भर मायने नहीं रखता। ट्रेडिंग भी एक धंधा है तो किसी गैर को नहीं, हमें ही इसका बिजनेस मॉडल बनाना होगा। अब देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी

जैन इरिगेशन सिस्टम्स ड्रिप व स्प्रिंकल सिंचाई उपकरणों के अलावा पीवीसी, पोलि इथिलीन व पॉलि प्रोपिलीन पाइप सिस्टम, प्लास्टिक शीट, डिहाइड्रेटेड प्याज व सब्जियां, टिश्यू कल्चर, बायो फर्टिलाइजर, सोलर वॉटर हीटिंग सिस्टम और सोलर फोटो वोल्टिक उपकरण भी बनाती है। वह फसलों के चयन से लेकर बंजर व असिंचित भूमि के समुचित उपयोग से जुड़ी सलाहकार सेवाएं भी देती है। राजस्थान से निकलकर महाराष्ट्र के जलगांव में बसे जैन परिवार ने व्यापार से शुरू कर ईंट-दर-ईंट इसऔरऔर भी

अनजाने में चूक हो जाए तो समझ में आता है। लेकिन सब कुछ जानते-बूझते हुए भी गलती हो जाए तो वह अनायास नहीं होती, उसके पीछे कोई न कोई स्वार्थ होता है। जानते हैं कि हमारे शेयर बाजार में कंपनियों की मजबूती जानने के बाद भी उनके शेयर क्यों पिटते रहते हैं? इसलिए यहां निवेशक नहीं, ट्रेडरों की बहुतायत है। हर्षद मेहता के समय 1991-92 में रिटेल निवेशकों की संख्या दो करोड़ से ज्यादा थी। आज इधर-उधरऔरऔर भी

एनआईआईटी लिमिटेड मूल कंपनी है और एनआईआईटी टेक्नोलॉजीज 2004 में उससे अलग निकालकर बनाई गई कंपनी है। आप जानते ही होंगे कि एनआईआईटी 1981 में बनी आईटी शिक्षण की प्रमुख कंपनी है। धीरे-धीरे उसने सॉफ्टवेयर भी बनाना शुरू कर दिया। साल 2002 तक यह स्थिति हो गई कि उसके कारोबार का काफी बड़ा हिस्सा सॉफ्टवेयर बिजनेस से आने लगा तो उसने 2004 में सॉफ्टवेयर बिजनेस को अलग कंपनी एनआईआईटी टेक्नोलॉजीज में डाल दिया है। इस समय एनआईआईटीऔरऔर भी