चार दिन पहले पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने चार फर्मों – राइट ट्रेड, बुल ट्रेडर, लक्ष्मी ट्रेडर्स और साई ट्रेडर पर बैन लगा दिया। इन फर्मों को सूरत से चलाया जा रहा था और इनके पीछे दो लोग थे – इम्तियाज़ हनीफ खांडा और वाली ममद हबीब घानीवाला। घानीवाला इम्तियाज़ का मामा है। ये लोग अपनी वेबसाइट ‘राइट ट्रेड डॉट इन’ के जरिए और मोबाइल पर एसएमएस भेजकर लोगों को शेयर और कमोडिटी बाज़ार से हरऔरऔर भी

कामयाब ट्रेडर बाज़ार में इकलौते मकसद से उतरता है। वो है पूंजी को बराबर बढ़ाते जाना। इससे उसे शोहरत भी मिल सकती है। लेकिन मनोरंजन, प्यार या सामाजिक प्रतिष्ठा वगैरह-वगैरह उसे बाज़ार से नहीं, बाहर से मिलती है। बाज़ार में सुबह से शाम तक टाइमपास करना भी बेमतलब है। लोग भले ही कहें कि कितना मेहनती ट्रेडर है। लेकिन जो मेहनत पूंजी न बढाए, वो किस काम की? आइए देखते हैं पूंजी बढ़ाने के आज के मौके…औरऔर भी

मित्रों! बड़े विनम्र अंदाज में आज से वापसी कर रहा हूं। कोई शोर-शराबा नहीं। कोई धूम-धड़ाका नहीं। दूसरों के कहे शेयरों को आंख मूंदकर आपको बताने की गलती अतीत में हमसे जरूर हुई है। सूर्यचक्र पावर इसका आदर्श नमूना है। लेकिन जहां भी औरों की सलाह को सोच-समझ कर पेश किया, वहां आपका फायदा ही हुआ है। जैसे, ठीक साल भर पहले हमने अपोलो हॉस्पिटल्स में निवेश की सलाह थी। तब वो शेयर 455.65 रुपए था औरऔरऔर भी

कभी-कभी अपनी निपट मूर्खता या भोलेपन में आप ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिनके दाग मिटते ही नहीं। आपको रह-रहकर कचोटते हैं। पलट-पलट कर सीना तान आपसे हिसाब मांगने पहुंच आते हैं। ऐसी अधिकांश गलतियां सहज विश्वास में आकर किसी पर अंधा भरोसा करके की जाती हैं। अर्थकाम के शुरुआती दौर में हम से भी कुछ ऐसी ही गलतियां हुई हैं। नए-नए जोश में हम पर ऐसे शेयरों को सामने लाने का जुनून सवार था, जो आपकेऔरऔर भी

सुब्बु सब जानता है। बचत खाते की 6 फीसदी ब्याज दर पर कोटक महिंद्रा बैंक का यह विज्ञापन आपने देखा ही होगा। शेयर बाजार के बारे में भी यही कहा जाता है कि वह सब जानता है। आप उसे चौंका नहीं सकते क्योंकि उसे पहले से सब पता रहता है। लेकिन यह आंशिक सच है, पूरा नहीं। ज़िंदगी की तरह बाजार में भी चौंकने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। बाजार हमेशा वर्तमान को पचाकर और भविष्यऔरऔर भी

शेयर बाजार से नोट कमाना तालाब से मछली पकड़ने जैसा काम नहीं है कि बंशी डालकर बैठ गए और फिर किसी मछली के फंसने का इंतज़ार करने लगे। शेयर बाजार में किस्मत का खेला भी कतई नहीं चलता। यहां से तो कमाने के लिए पौधे लगाकर फल-फूल पाने का धैर्य चाहिए। घात लगाकर सही मौके को पकड़ने की शेरनी जैसी फुर्ती चाहिए। और, सही मौके की शिनाख्त के जरूरी है सही जानकारी। फिर सही जानकारी से सारऔरऔर भी

जहां भी देखो, हर तरफ, हर कोई नोट बनाने में लगा है। इसलिए कि धन है तो सब कुछ है। पद, प्रतिष्ठा, शानोशौकत। सुरक्षा, मन की शांति। जो चाहो, कर सकते हो। छुट्टियां मनाने कभी केरल पहुंच गए तो कभी स्विटजरलैंड। बच्चों को मन चाहा तो ऑक्सफोर्ड से पढ़ाया, नहीं तो हार्वर्ड से। धन की महिमा आज से नहीं, सदियों से है। करीब 2070 साल पहले 57-58 ईसा-पूर्व में हमारे भर्तहरि नीतिशतक तक में कहा गया था,औरऔर भी

इसमें कोई दो राय नहीं कि हम सभी अभी सीखने के दौर में हैं और यह दौर लंबा खिंचेगा। सीखने का मतलब होता है कि पहले उस जड़ता को तोड़ना जो सालोंसाल में हमारे भीतर जड़ बना चुकी है। यह अपने-आप नहीं निकलती। निरंतर रगड़-धगड़ से इसे निकालना पड़ता है। इसका कोई शॉर्ट कट नहीं है। उसी तरह जैसे शेयर बाजार में सुरक्षित चलनेवाले आम निवेशकों के लिए कोई शॉर्ट टर्म नहीं होता। दुनिया के सबसे कामयाबऔरऔर भी

सरकार के सबसे बड़े योजनाकार और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अनुमान जताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था या जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में अगले बीस सालों तक औसतन 8 से 9 फीसदी की दर से विकास होता रहेगा। आपको याद ही होगा कि जुलाई-सितंबर 2011 की तिमाही में हमारा जीडीपी मात्र 6.9 फीसदी बढ़ा है। पूरे साल का अनुमान 7.25 से 7.50 फीसदी का है। मोटेंक ने शुक्रवार को भुवनेश्वर विश्वविद्यालय में एक भाषणऔरऔर भी

हर कोई दो का चार करने में जुटा है, बिना यह जाने कि असल में दो का चार होता कैसे है। यह धरती क्या, पूरा ब्रह्माण्ड कमोबेश नियत है, स्थाई है। यहां कुछ जोड़ा-घटाया नहीं जा सकता। कोई चीज एक महाशंख टन है तो आदि से अंत तक उतनी ही रहेगी। बस, उसका रूप बदलता है। द्रव्य दूसरे द्रव्य में ही नहीं, ऊर्जा तक में बदल जाता है। लेकिन ऊर्जा और द्रव्य का योगफल एक ही रहताऔरऔर भी