एक दिन में महल नहीं बनते। एक दिन में क्रांतियां नहीं होतीं। एक दिन में कोई ज्ञानवंत नहीं बनता। एक दिन में जितना मिला, वही अपना है। जो छूट गया, उसे फिर पकड़ लेंगे। उसको लेकर पछताना क्या?और भीऔर भी