स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त 2020 को शनिवार का दिन था। शनि का दिन यानी मानें तो दुर्बुद्धि का दिन। पिछली बार 15 अगस्त को गुरुवार का दिन था। गुरु का दिन, बुद्धिमत्ता का दिन। लेकिन तब 15 अगस्त 2019 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से बड़ी दुर्बुद्धि वाली बात कही थी। उन्होंने ‘बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट’ का जिक्र करते हुए कहा था, “जनसंख्‍या विस्‍फोट हमारे लिए, हमारी आनेवाली पीढ़ी के लिए अनेक नए संकटऔरऔर भी

आर्थिक मोर्चे से बुरी खबरों का आना रुक नहीं रहा। औद्योगिक गतिविधियों की रीढ़ माना गया इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र भी अब अपना दुखड़ा रोने लगा है। देश के 262 ताप विद्युत संयंत्रों में 133 संयंत्रों को मांग न होने के कारण बंद करना पड़ा है। इससे पहले परिवहन में इस्तेमाल होनेवाले डीजल और सड़क निर्माण में इस्तेमाल होनेवाले बिटूमेन की मांग घटने की खबर आ चुकी है। इस बीच देश के सबसे बडे बैंक एसबीआई ने अपनी रिसर्चऔरऔर भी

गंगोत्री से गंगा की धारा के साथ बहते पत्थर का ऊबड़-खाबड़ टुकड़ा हज़ारों किलोमीटर की रगड़-धगड़ के बाद शिव बन जाता है, मंगल का प्रतीक बन जाता है। आंख में ज़रा-सा कण पड़ जाए तो हम इतना रगड़ते हैं कि वह लाल हो जाती है। लेकिन सीप में परजीवी घुस जाए तो वह उसे अपनी लार से ऐसा लपटेती है कि मोती बन जाता है। ऐसे ही हैं हमारे रीति-रिवाज़ और त्योहार जो हज़ारों सालों की यात्राऔरऔर भी

आज दुनिया कितनी ग्लोबल हो गई है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि अमेरिका में ऋण सीमा पर लटकी तलवार से उससे ज्यादा परेशानी चीन और जापान को हो रही है। इन देशों के मंत्रीगण अमेरिका को पटाने में लगे हैं कि किसी भी सूरत में ऐसी नौबत न आने दी जाए क्योंकि ऐसा हो गया तो उन्होंने अमेरिका को जो भारी भरकम कर्ज दे रखा है, उसे वापस पाना मुश्किल हो जाएगा। सोचिए, ऐसा तब हो रहाऔरऔर भी

यूं तो इधर सभी ब्रिक देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन) की आर्थिक दशा खराब चल रही है। लेकिन इनमें सबसे खराब हालत भारत की है। इसका पता दयनीयता या मिज़री सूचकांक से चलता है। यह सूचकांक किसी देश में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी की दर को जोड़कर निकाला जाता है। भारत का दयनीयता सूचकांक अभी 17.8% (बेरोजगारी दर 8.5% + मुद्रास्फीति 9.3%) है, जबकि ब्राज़ील में यह सूचकांक 10.9% (5.5% + 5.4%), रूस में 10.8% (5.7% + 5.1%)औरऔर भी

चीन में अभी धूप से करीब 5000 मेगावॉट बिजली बनती है। अपने सोलर पैनेल उद्योग के उत्पादन को खपाने के लिए उसने तय किया है कि 2015 तक वह सौर ऊर्जा की क्षमता 35,000 मेगावॉट तक पहुंचा देगा। वहीं, भारत में सौर ऊर्जा की मौजूदा क्षमता 1466 मेगावॉट है। दस साल में 2022 तक इसे 20,000 मेगावॉट तक पहुंचाने की योजना है। देश को परमाणु बिजली का खतरनाक ख्वाब दिखानेवाली यूपीए सरकार को सूरज की रौशनी मेंऔरऔर भी

सी-सॉ का खेल। तराजू के एक पलड़े पर डॉलर तो दूसरे पर रुपया। दो साल पहले जुलाई 2011 में डॉलर को बराबर करने के लिए पलड़े पर 44.32 रुपए रखने पड़ते थे। अब 61.22 रुपए रखने पड़ रहे हैं। इस तरह रुपया डॉलर के मुकाबले दो साल में 38.13 फीसदी हल्का हो चुका है। इस दौरान डॉलर खुद अपने देश में मुद्रास्फीति (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित) के कारण जुलाई 2012 तक 1.7 फीसदी और उसके बादऔरऔर भी