कृषि और वाणिज्य मंत्रालय में करीब दो महीने तक चली खींचतान के बाद आखिरकार सरकार ने अब कपास का निर्यात खोल दिया है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष धीरेन शेठ के मुताबिक इससे कपास के दाम 10 से 15 फीसदी बढ़ सकते हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि इसका खास फायदा किसानों को नहीं मिलेगा क्योंकि ज्यादातर किसान अपना 70-80 फीसदी कपास पहले ही बेच चुके हैं। इसका फायदा मूलतः कपास के स्टॉकिस्टों या उनऔरऔर भी

कृषि मंत्री शरद पवार ने सोमवार को 2011-12 के लिए फसल उत्‍पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया। इसके मुताबिक 2011-12 में 25.256 करोड़ टन खाद्यान्‍न उत्‍पादन का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष यह 24.478 करोड़ टन रहा था। चावल का कुल अनुमानित उत्पादन 10.341 करोड़ टन है जो अपने-आप में एक रिकॉर्ड है। गेहूं का अनुमानित उत्पादन 9.023 करोड़ टन है। यह भी एक रिकॉर्ड है। चावल और गेहूं के उत्‍पादन में उल्‍लेखनीय वृद्धि से खाद्यान्‍नऔरऔर भी

सरकार ने तत्काल प्रभाव से कपास निर्यात पर रोक लगा दी है। इस बाबत विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर दी जिसके तहत कपास के निर्यात पर अगले आदेश तक पाबंदी लगी रहेगी। इसकी खास वजह यह है कि घरेलू खपत से बची 84 लाख गांठों के निर्यात का लक्ष्य था, जबकि अब तक वास्तव में करीब 94 लाख गांठों का निर्यात किया जा चुका है। इस साल पिछले वर्ष के समानऔरऔर भी

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कॉटन और कॉटन यार्न पर डीईपीबी (ड्यूटी इनटाइटलमेंट पासबुक) स्कीम की सुविधा पूर्व तिथि से बहाल कर दी है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने बताया कि कॉटन यार्न पर यह सुविधा 1 अप्रैल 2011 और कॉटन पर 1 अक्टूबर 2010 से बहाल की गई है। उन्होंने कहा, “मैं पिछले कुछ दिनों में कॉटन व कॉटन यार्न उद्योग की स्थिति की समीक्षा की। इन दोनों ही उद्योग क्षेत्रों को अंतरराष्ट्रीय व घरेलू बाजारऔरऔर भी

मुद्रास्फीति के बढ़ते जाने की चिंता रिजर्व बैंक पर लगता है कि कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गई है। इसको थामने के लिए उसने ब्याज दरों में सीधे 50 आधार अंक या 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है। इतनी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। आम राय यही थी कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा सकता है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे थे कि औद्योगिक धीमेपन को देखते हुए शायद इस बारऔरऔर भी

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2010-11 में देश में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन 24.156 करोड़ टन रहा है। यह पिछले साल के उत्पादन 21.811 करोड़ टन से 10.75% अधिक है। खाद्यान्न उत्पादन का पिछला रिकॉर्ड 2008-09 में 23.447 करोड टन का था। इस बार 8.592 करोड़ टन गेहूं और 1.809 करोड़ टन दालों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। इसी तरह मोटे अनाज, मक्का, उड़द, मूंग, चना, तिलहन व सोयाबीन में इस बार सर्वाधिक उत्पादन हुआऔरऔर भी

दक्षिण भारत की करीब 600 कताई मिलों ने बढ़ते स्टॉक के मद्देनजर धागा बनाना बंद कर दिया है। मिलों के पास पिछले चार माह से धागे के विशाल भंडार जमा है। साउथ इंडिया स्पिनर्स एसोसिएशन (सिस्पा) के अध्यक्ष एस वी देवराजन ने कहा कि विभिन्न तरह की परेशानियों से जूझ रहे कपड़ा उद्योग की सुरक्षा के लिए कताई मिलों ने दस दिन के लिए धागे का उत्पादन बंद किया है। यह समस्या सरकारी नीतियों की कमी केऔरऔर भी

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों से मिले आंकड़ों के आधार पर बताया है कि इस साल 8 जुलाई तक धान की बुआई 74.31 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश से मिले आंकड़ो के अनुसार बुआई बेहतर स्थिति में हैं। मोटे अनाज की बुआई 52.03 लाख हेक्टेयर में की गयी है। यह पिछले साल की तुलना में 2.35 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। गन्ने की बुआई 51.38 लाख हेक्टेयर मेंऔरऔर भी