बाज़ार सरकार तक की नहीं सुनता। वित्त मंत्री चिदंबरम से लेकर रिजर्व बैंक तक रुपए को चढ़ाना चाहते हैं। लेकिन इन सबको धता बताते हुए रुपया डॉलर के मुकाबले 68.83 तक जा गिरा। एक दिन में 3.83% की गिरावट। यह एक मार्च 1993 के बाद किसी एक दिन में हुई सबसे बड़ी गिरावट है। शेयर बाज़ार सपाट। सोना चढ़ा 34,238 रुपए प्रति दस ग्राम तक। सबक? बाज़ार से पंगा मत लो। बस देखते रहो बाज़ार की धार…औरऔर भी

डॉलर का 66.30 रुपए हो जाना सरकार की अदूरदर्शी नीतियों का नतीजा है। इसे संभालने का कोई शॉर्टकट नहीं। समस्या यह है कि भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की उत्पादकता घट गई है। दुनिया में भारतीय मालों के पिटने से हमारा व्यापार घाटा 195 अरब डॉलर हो चुका है। सेवा उद्योग और अनिवासी भारतीय देश में 105 अरब डॉलर ला रहे हैं। इस तरह बची 90 अरब डॉलर की कमी कोहराम मचाए हुए है। फिर, कैसे बढ़े शेयर बाज़ार?औरऔर भी

दुनिया में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और कमजोर होते रुपए के चलते सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) की अंडर-रिकवरी चालू वित्त वर्ष 2011-12 में 1.40 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। यह आकलन है देश की प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिसर्च शाखा का। अंडर-रिकवरी का मतलब उस नुकसान से है जो ओएमसी को डीजल, रसोई गैस व कैरोसिन को सरकार निर्धारित दामों पर बेचने के चलते उठाना पड़ता है। उनका लागतऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में की गई वृद्धि को वापस लेने की संभावना से इनकार कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि कच्चे तेल व पेट्रोलियम उत्पादों पर कस्टम व एक्साइज शुल्क में कटौती से सरकार के राजकोषीय घाटे पर कोई असर नहीं होगा। यह पूछे जाने पर कि डीजल, घरेलू गैस व केरोसिन की कीमतों में वृद्धि में कुछ कमी की जाएगी, मुखर्जी ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडियाऔरऔर भी

प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) और माल व सेवाकर (जीएसटी) पर अमल अप्रैल 2012 से पहले नहीं हो सकता। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी सोमवार को आम बजट में इसका ऐलान कर सकते हैं। लेकिन इस बीच पूरी संभावना है कि वे नए वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपए कर देंगे। अभी यह सीमा 1.60 लाख रुपए की है। सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़तेऔरऔर भी