असहाय आदमी का मन और आसरा न टूटे, इसलिए चलेगा भगवान। इस बेरहम व पत्थर दिल दुनिया में एक भगवान ही तो है जो सोते-जागते हर पल कमजोर का साथ देता है। इसलिए भगवान को केवल पत्थर की मूर्ति या अमूर्त सत्ता मानकर नहीं चला सकता।और भीऔर भी

ये सरकार भी बड़ी जालिम चीज़ है! कहने को सबकी संरक्षक है, पालनहार है। मगर जब कंगाली में फंसते हो तो पूछती तक नहीं और जैसे ही आप कहीं से कमाई कर लेते हो, फौरन टैक्स वसूलने आ जाती है।और भीऔर भी

जीत का मतलब यही क्यों होता है कि हम कितनों को पीछे छोड़ आगे निकल गए? जीत का मतलब यह क्यों नहीं होता कि कितने लोगों के साथ हमारा दिल धड़कता है, कितनों का दुख हमें अपना लगता है?और भीऔर भी