भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। उम्मीद थी कि बीते वित्त वर्ष 2011-12 की आखिरी तिमाही में अर्थव्यवस्था या जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहेगी। लेकिन केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश का जीडीपी जनवरी-मार्च 2012 के दौरान मात्र 5.3 फीसदी बढ़ा है। इसे मिलाकर पूरे वित्त वर्ष 2011-12 की आर्थिक विकास दर 6.5 फीसदी पर आ गई है, जबकि फरवरी में इसका अग्रिम अनुमानऔरऔर भी

अगर रिजर्व बैंक को डर है कि आगे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है तो यह निराधार नहीं है। बुधवार को सरकार की तरफ से जारी मार्च के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ने यह बात साबित कर दी। इन आंकड़ों के अनुसार मार्च 2012 में यह सूचकांक मार्च 2011 की तुलना में 9.47 अधिक है। दूसरे शब्दों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मार्च में 9.47 फीसदी है। इसके पिछले महीने फरवरी में यह 8.83 फीसदीऔरऔर भी

अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि अक्टूबर में 4.7 फीसदी घटने के बाद नवंबर में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जिस तरह 5.9 फीसदी बढ़ा था, उसे देखते हुए दिसंबर में आईआईपी की वृद्धि दर 3.4 फीसदी तो रहनी ही चाहिए। लेकिन सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी संगठन) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में वास्वतिक वृद्धि मात्र 1.8 फीसदी की हुई है। साल भर पहले दिसंबर 2010 में यह वृद्धि दर 8.1 फीसदी रही थी।औरऔर भी

केन्‍द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि दर के निराशाजनक अग्रिम अनुमान व्यक्त किए हैं। मंगलवार को जारी अग्रिम अनुमानों के मुताबिक बार जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 6.9 फीसदी ही बढ़ेगा, जबकि बीते वित्त वर्ष में यह 8.4 फीसदी बढ़ा था। इस बार कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.5 फीसदी रहेगी, जबकि पिछले साल यह 7 फीसदी थी। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के इस बार 3.9 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जबकि पिछले सालऔरऔर भी

नए वित्त वर्ष 2012-13 का आम बजट 16 मार्च को पेश किया जाएगा। रेल बजट 14 मार्च को पेश होगा, जबकि आर्थिक समीक्षा 15 मार्च को संसद में पेश की जाएगी। मंगलवार को राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति में यह तय किया गया। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने मीडिया को बताया कि बजट सत्र 12 मार्च को राष्ट्रपतिऔरऔर भी

रिजर्व बैंक भले ही मानता हो कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहेगी, लेकिन वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का कहना है कि यह 7 फीसदी से थोड़ी ज्यादा रहेगी। उन्होंने मंगलवार को यह आशा जताई। उनकी राय असल में पूरे वित्त मंत्रालय की राय है जिसका मानना है कि मार्च 2012 के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर 6 से 7 फीसदी पर आ जाएगी। इस बीच सरकार नेऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर जून से सितंबर 2011 तक की तिमाही में 6.9 फीसदी रही है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो सालों से ज्यादा वक्त में किसी भी तिमाही में हुई सबसे कम विकास दर है और लगातार तीसरी तिमाही में 8 फीसदी से नीचे रही है। चिंता की बात यह है कि इस दौरान मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर मात्र 2.7 फीसदी रही है, जबकि खनन क्षेत्र बढ़ने के बजाय 2.9 फीसदी घटऔरऔर भी

देश में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार पिछले डेढ़ साल से रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरें बढ़ाते रहने के बावजूद अच्छे स्तर पर बनी हुई है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जून 2011 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) साल भर पहले की तुलना में 8.8 फीसदी बढ़ा है, जबकि उम्मीद की जा रही थी कि यह 5.5 से 5.7 फीसदी ही बढ़ेगा। इसने अर्थव्यवस्था में आ रही किसी भी तरहऔरऔर भी

मई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर पिछले नौ महीनों में सबसे कम रही है। सांख्‍यिकी व कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय के केन्‍द्रीय सांख्‍यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मई 2011 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) साल भर पहले की तुलना में महज 5.6 फीसदी बढ़ा है। मई 2010 में आईआईपी में 8.5 फीसदी बढ़ा था। मंगलवार को इन आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि मई माहऔरऔर भी

मैन्यूफैक्चरिंग व खनन क्षेत्र के खराब प्रदर्शन और व्यापार, होटल, परिवहन व संचार जैसी सेवाओं में आई थोड़ी सुस्ती के चलते देश की आर्थिक वृद्धि दर 2010-11 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में घटकर 7.8 फीसदी पर आ गई। इससे पिछले वित्त वर्ष 2009-10 की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से नापी जानेवाली यह आर्थिक वृद्धि दर 9.4 फीसदी रही थी। इससे इन आशंकाओं को बल मिल रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तारऔरऔर भी