अगर आप बूढ़े व अशक्त नहीं हैं और पहाड़ चढ़ रहे हों तो बड़ा छोड़कर छोटा रास्ता अपनाते हैं, भले ही वहां पैर फिसलने का जोखिम हो। दरअसल, मानव मस्तिष्क के तार जुड़े ही ऐसे हैं कि हम स्वभावतः शॉर्टकट को तरजीह देते हैं। लेकिन लंबे निवेश में शॉर्टकट की मानसिकता बेहद नुकसानदेह साबित होती है। इसलिए हमें संयम और अनुशासन से खुद को शॉर्टकट की तरफ जाने से रोकना पड़ता है। अब आज की चुनिंदा कंपनी…औरऔर भी

वोकहार्ट ने बीते महीने 22 मई को वित्त वर्ष 2011-12 के सालाना और चौथी तिमाही के नतीजे घोषित किए। पता चला कि मार्च तिमाही में उसे जबरदस्त घाटा हुआ है। स्टैंड-एलोन स्तर पर 69 करोड़ रुपए और सब्सिडियरी व सहायक इकाइयों को मिलाकर कंसोलिडेटेड स्तर पर 192 करोड़ रुपए। जबकि, साल भर पहले की मार्च तिमाही में उसे स्टैंड-एलोन रूप से 32 करोड़ रुपए और कंसोलिडेटेड रूप से 162 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था। यहीऔरऔर भी

किताबों से लेकर बिजनेस स्कूलों तक में पढ़ाया जाता है कि संभावनामय व मूलभूत रूप से मजबूत कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए। यह भी कहा जाता है कि सस्ते में खरीदो और महंगे में बेचो। लेकिन सबसे अहम मुद्दा है यह पता लगाना कि कोई मजबूत संभावनामय कंपनी सस्ते में मिल रही है या नहीं। मित्रों! शायद आपसे दोबारा मिलने में थोड़ा वक्त लग जाए, इसलिए यहां कुछ सूत्र और कंपनियों के नाम फेंक रहा हूंऔरऔर भी

श्री रेणुका शुगर्स में निवेश करने की सलाह सात-आठ महीने पहले शुरू हो गई थी। अक्टूबर से दिसंबर 2010 के बीच सभी ललकार कर कहते हैं कि इसे खरीद लो, इसमें अच्छा रिटर्न मिलेगा। लेकिन तब यह शेयर बहुत बेहतर स्थिति में था। नवंबर में 108.15 रुपए तक चला गया जो 52 हफ्ते का उसका उच्चतम स्तर है। जनवरी में उसका सर्वोच्च स्तर 101.50 रुपए रहा। लेकिन अजीब बात है कि जो शेयर अक्टूबर से दिसंबर-जनवरी तकऔरऔर भी