दुनिया की हथियार लॉबी बहुत पहले ही बेनकाब हो चुकी है। साफ हो चुका है कि अमेरिका से लेकर यूरोप तक में हथियारों के धंधे के लिए क्या-क्या करतब किए जाते हैं। लेकिन अब भारत में भी देशभक्ति, त्याग और बलिदान के पीछे सेना में चल रहा गोरखधंधा उजागर होता जा रहा है। और, इसका श्रेय जाता है दो महीने बाद 31 मई को रिटायर हो रहे थलसेना अध्यक्ष जनरल वी के सिंह को। जनरल वी केऔरऔर भी

भारत हथियारों के मामले में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया है। यह दुनिया में हो रही हथियारों की बिक्री का 10 फीसदी खरीदता है। स्वीडन के सुरक्षा मामलों की एक संस्था ने कहा है कि पिछले पांच सालों (2007 से 2011 के बीच) में भारत के हथियारों की खरीद में 38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2012-13 के लिए भारत का रक्षा खर्च 17औरऔर भी

यूपीए सरकार भले ही ढिंढोरा पीटती रहे कि उसने कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रखी है, लेकिन बजट 2012-13 के दस्तावेजों से साफ है कि वह केंद्रीय आयोजना व्यय का महज 2.71 फीसदी हिस्सा कृषि व संबंधित गतिविधियों पर खर्च करती है। नए वित्त वर्ष 2012-13 में कुल केंद्रीय आयोजना व्यय 6,51,509 करोड़ रुपए का है। इसमें से 17,692.37 करोड़ रुपए ही कृषि व संबंद्ध क्रियाकलापों के लिए रखे गए हैं। इन क्रियाकलापों में फसलों से लेकरऔरऔर भी