रिजर्व बैंक ने दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में हमारी अर्थव्यवस्था में 7.5% ही गिरावट आएगी, जबकि उसका पिछला अनुमान 9.5% की गिरावट का था। अगर ऐसा होता है कि इसका श्रेय भारतीय अवाम और उद्योग क्षेत्र को जाएगा, सरकार को नहीं। कारण, अब तक सरकार के सारे घोषित पैकेज ज़मीनी धरातल पर नाकाम और महज दिखावा साबित हुए हैं। जहां सरकार को जीडीपी बढ़ाने के लिए अपनाऔरऔर भी

डेरिवेटिव ट्रेडर बहुत उस्ताद किस्म के प्राणी होते हैं। वे सबसे कम समय में कम से कम रिस्क उठाते हुए ज्यादा से ज्यादा संभव रिटर्न कमाने की जुगत में लगे रहते हैं। वे इसका हवाई ख्वाब नहीं देखते, बल्कि ठोस, समझदार, दमदार कोशिश करते हैं। हालांकि बाज़ार में ज़ीरो रिस्क जैसी कोई चीज़ नहीं होती। और, रिस्क ऐसी तितली नहीं जिसे आप मुठ्ठी में बंदकर रख लें। यहां रिस्क कभी भी बैलून की तरह विस्फोटक हद तकऔरऔर भी