शेयर सबसे ज्यादा माकूल खबरों से उठते/गिरते हैं। मसलन, कल खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में सशर्त खनन की इजाजत दे दी तो सेसा स्टरलाइट तीन मिनट में 4.55% उछल गया। लेकिन गौर फरमाइए। एजेंसी व चैनलों पर यह खबर दोपहर 3.09 बजे आई। पर शेयर में उछाल 2.48 से 2.51 बजे के बीच आया। खबर आने से 21 मिनट पहले! हमारे-आप जैसे लोगों के पास इतनी तेज़ी हो नहीं सकती। अब वार मंगलवार का…औरऔर भी

जीवन के संघर्ष में जीतने के लिए आशावाद बेहद ज़रूरी है। निवेशकों का पूरा साथ पाने के लिए कंपनियों का आशावादी होना और आशावाद का माहौल बनाए रखना भी जरूरी है। इसीलिए कंपनियां भावी धंधे व मुनाफे का अनुमान पेश करती रहती हैं। पर शेयर बाज़ार में निवेश या ट्रेडिंग से कमाई करनी है तो हमें आशावादी नहीं, यथार्थवादी होना पड़ता है। अनुमानों के पीछे की हवाबाज़ी को समझना पड़ता है। अब जानें शुक्र का ट्रेडिंग सूत्र…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश और ट्रेडिंग में ज़मीन-आसमान का फर्क है। धैर्य व शांत चित्त दोनों में ज़रूरी है। लेकिन दोनों का टाइमफ्रेम भिन्न है। लंबे समय में कोई भी शांत और धैर्यवान हो सकता है। पर घंटे-दो घंटे या हफ्ते-दस दिन में भावनाओं के दबाव में आए बगैर ट्रेडिंग में ज्यादा कमाई और कम नुकसान के अवसर पकड़ना आसान नहीं। हंस मछली पकड़ लेता है, पर कौआ कांव-कांव करता रह जाता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

क्या शेयर बाज़ार में वाकई ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो भावनाओं के गुबार में गुब्बारा बन जाते हैं या यह गुबार सिर्फ नई मछलियों को फंसाने का चारा भर होता है? बीते सोमवार को निफ्टी सुबह-सुबह 6670.30 तक उछलकर आखिर में 6363.90 पर बंद हुआ था। वही इस सोमवार तक हफ्ते भर में ही महीना भर पीछे जाकर 6154.70 पर बंद हुआ। भावनाओं के इस खेल में खिलाड़ी कौन है? चिंतन-मनन करते हुए बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

मौकापरस्ती अलग है और मौके को पकड़ने के हमेशा तैयार रहना अलग बात है। जिस तरह जीवन में मौके डोरबेल बजाकर नहीं आते, उसी तरह शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में मौके अचानक आपके सामने प्रकट हो जाते हैं। उन्हें पकड़ने के लिए आप तैयार नहीं रहे तो हाथ से निकल जाएंगे। इसके लिए हाथ का खाली रहना ज़रूरी है। अगर आप किसी स्टॉक के प्यार में फंस गए तो समझो गए। अब तलाश आज के मौकों की…औरऔर भी

अगर आप ट्रेडिंग में एकदम नए हैं तो बेहतर यही होगा कि आप सुबह बाज़ार खुलने पर उससे दूर रहें। जब तक आप औरों के ऊपर हावी न हो सकें, तब तक अपने धन को जोखिम में डालने का क्या फायदा? लेकिन अगर आपने उस्तादों की नज़र हासिल कर ली है तो सुबह-सुबह सौदे पकड़ना बेहद लाभकारी है क्योंकि उस वक्त अनजान-अनाड़ी मछलियां ही तैरने आती हैं जिनका शिकार आसान है। अब टटोलते हैं बाज़ार की नब्ज़…औरऔर भी

हम मानते हैं कि जितना रिस्क, उतना रिवॉर्ड। ज्यादा रिस्क, ज्यादा फायदा। दिक्कत यह है कि फायदे की सोच में मगन होकर हम भूल जाते हैं कि ज्यादा रिस्क में पूंजी डूबने का खतरा भी ज्यादा होता है। वहीं ट्रेडिंग में भयंकर रिस्क की बात कही जाती है। लेकिन प्रोफेशनल ट्रेडर की खूबी होती है कि वो वही सौदे करता है जिसमें न्यूनतम रिस्क में अधिकतम फायदे की प्रायिकता सबसे ज्यादा होती है। अब शुक्र की ट्रेडिंग…औरऔर भी

गलतियां मंजे हुए ट्रेडर भी करते हैं। इसके बावजूद मुनाफा कमाते हैं क्योंकि वे अपने घाटे की सीमा या स्टॉप-लॉस बांध कर चलते हैं। स्टॉप-लॉस के दो आधार हैं, धन गंवाने की आपकी क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस। सबसे पहले यह देखें कि किसी सौदे में आप कितना गंवा सकते हैं। सौदे को लेकर आश्वस्त नहीं हैं तो न्यूनतम रिस्क लें। फिर टेक्निकल एनालिसिस से निकलने का सटीक भाव तय कर लें। अब करते हैं रुख बाज़ार का…औरऔर भी

रुपया डॉलर के मुकाबले इस साल 9.27% गिर चुका है। सोमवार को 61.21 की ऐतिहासिक तलहटी छूने के बाद 60.62 पर बंद हुआ। हर तरफ हाहाकार है कि रसातल में जाता रुपया अब संभाला नहीं जा सकता और वो अपने साथ अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार को भी डुबा देगा। पर सच यह है कि उसकी कमज़ोरी ही एक दिन मजबूती का सबब बनेगी। आयात घटेंगे, निर्यात बढ़ेंगे, रुपया सबल होगा। इस चक्र को समझते, बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी