हर कोई किसी न किसी रूप में बलवान है, सशक्त है। बस, हम ही हर रूप में कमजोर हैं, अशक्त हैं। ये सोच भयंकर अवसाद का लक्षण है। कोई दवा हमें इससे बाहर नहीं निकाल सकती। लड़ने का मनोबल और अपने अनोखे गुणों का भरोसा ही इसका इलाज है।और भीऔर भी

विश्वास के बिना दुनिया नहीं चलती, लेकिन अंधविश्वास हमें अंधेरी खाईं में धकेल देता है। संशय के बिना जीवन में नया कुछ जानना मुमकिन नहीं, लेकिन संशयात्मा बनते ही जीवन थम जाता है। वही रसायन दवा होता है और एक सीमा के बाद ज़हर।  और भीऔर भी

कोंपल फूटती है तो बड़ी ही बेचैन होती है। फौरन उसे किसी तलब की, तसल्ली की जरूरत होती है। खटाखट बढ़ने व खिलने के दौर में हमारे साथ भी यही होता है। संभले नहीं तो नशा हमें धर दबोचता है।और भीऔर भी