स्पीक एशिया अपनी जिस साप्ताहिक ई-पत्रिका सर्वेज टुडे के सब्सक्रिप्शन के नाम पर अपने पैनलिस्टों से साल के 11,000 और छह महीने के 6000 रुपए लेने का दावा करती है, वैसी उसकी कोई ई-पत्रिका है ही नहीं। फिर भी कंपनी यह दावा इसलिए करती है ताकि उसके फ्रेंचाइजी या एजेंटों को यहां जमा की गई रकम को सिंगापुर भेजने का वाजिब आधार मिल जाए। असल में ये एजेंट व फ्रेंचाइजी अभी तक खुद को सर्वेज टुडे काऔरऔर भी

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उनको इतनी मिर्ची लग जाएगी, अंदाजा नहीं था। दुख इस बात का है कि छल-प्रपंच में लगी स्पीक एशिया की तरफदारी ऐसे लोग कर रहे हैं जो बड़ी ईमानदारी व मेहनत से घर-परिवार चलाते हैं। मानस कुमार भले ही स्पीक एशिया के घोटालेबाज टीम से सदस्य हों, लेकिन महेश, हरप्रीत, रंजीत, अजीत, धीरज रावत, नितेश और ‘बेनामी’ झलक तक हमारे-आप जैसे लोग हैं जो अपनी व अपनों की जिंदगी में खुशियां बिखेरना चाहते हैं। झलक की यहऔरऔर भी

जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम और स्पीक एशिया में क्या समानता है? दोनों का वकील एक है और इनका नाम है – अशोक सरावगी। खैर, ऐसा होना आम बात है। सरावगी ने तो आमिर अजमल कसाब का भी एडवोकेट बनने की पेशकश की थी। खास बात यह है कि पिछले हफ्ते शुक्रवार, 20 मई को सरावगी ने मुंबई में स्पीक एशिया की तरफ से एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि स्पीक एशिया अपनेऔरऔर भी