स्वीडन से निकले और ब्रिटेन में जमे ईसाब समूह की भारतीय सब्सडियरी ईसाब इंडिया के बारे में हमने सबसे पहले यहां करीब तेरह महीने 16 फरवरी 2011 को लिखा था। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 480.30 रुपए तक चल रहा था। करीब सात महीने बाद 14 सितंबर 2011 को यह 591.30 रुपए तक चला गया। सात महीने में 23 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न। लेकिन उसके बाद गिरते-गिरते 20 दिसंबर 2011 को 422 रुपएऔरऔर भी

यूं तो यह जमाना ही अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने का है। लेकिन यहां मैं अपनी तारीफ नहीं कर रहा। बल्कि, यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि कैसे सहज बुद्धि से अच्छी कंपनियों का चयन किया जा सकता है और उनमें निवेश से फायदा कमाया जा सकता है। केवल दो उदाहरण देना चाहता हूं। एक, पेट्रोनेट एलएनजी का और दूसरा, ईसाब इंडिया का। पेट्रोनेट एलएनजी के बारे में हमने पहली बार चौदह महीने पहले 24औरऔर भी

ईसाब इंडिया ने अपना कामकाज 1987 से शुरू किया। लेकिन इसकी कहानी 1904 में स्वीडन के शहर गोथेनबर्ग से तब शुरू हुई थी जब जहाजों व बॉयलरों पर काम कर रहे एक इंजीनियर ऑस्कर केलबर्ग ने पाया कि वहां रिपेयर के काम की क्वालिटी अच्छी नहीं है। बेहतर टेक्नोलॉजी की तलाश में केलबर्ग ने दुनिया के पहले कवर्ड इलेक्ट्रोड का आविष्कार कर डाला। वहीं से पैदा हुआ ईसाब (Elektriska Svetsnings Aktie Bolaget या ESAB) समूह जो इसऔरऔर भी