यूरोप के मसले ने उन सभी निवेशकों व ट्रेडरों को चरका दे दिया जो उस बहस और शॉर्ट सेलिंग करते रहे। निफ्टी 4700 से सुधरता हुआ 5350 तक आ चुका है और अब 5500 के पार जाने को तैयार है। इसके आसपास पहुंचते ही टेक्निकल एनालिसिस के हिसाब से एफआईआई खरीद की भंगिमा अपना लेंगे क्योंकि 200 डीएमए (200 दिनों के मूविंग औसत) अभी 5406 है और बाजार के इसके ऊपर जाने पर आप शॉर्ट नहीं रहऔरऔर भी

अमेरिका का डाउ जोंस सूचकांक शुक्रवार को 267.01 अंक बढ़कर 11,808.79 पर पहुंच गया, जबकि इसका अब तक का शिखर 12,876 का है। वैसे, 12,876 का यह स्तर किसी अनार के फूटने की तरह था जो ज्यादा टिका नहीं। इसलिए 12,500 को डाउ का औसत उच्चतम स्तर माना जाता है। इस औसत से अमेरिकी शेयर बाजार गिरकर 10,405 तक चला गया था जो करीब-करीब 17 फीसदी की गिरावट दर्शाता है। लेकिन नीचे का स्तर भी ज्यादा टिकाऔरऔर भी

स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों ने दुनिया भर में देशों से लेकर बैंकों तक को डाउनग्रेड करने का सिलसिला जारी रखा है तो हर तरफ निराशा ही निराश फैली गई है। इससे इन एजेंसियों को चाहे कुछ मिले या नहीं, लेकिन समूची दुनिया में निवेशकों को वित्तीय नुकसान जरूर हो रहा है। ध्यान दें कि ये वही रेटिंग एजेंसियां हैं जिन्हें 2007-08 में अमेरिका के सब-प्राइम संकट का भान तक नहीं हुआ थाऔरऔर भी

अगर आप जाने-अनजाने, किसी के कहने या गलती से या खुद अपने-आप इक्विटी बाजार में आ ही गए हैं तो मौजूदा देशी-विदेशी हालात का खामियाजा आपको भुगतना ही पड़ेगा। शेयर बाजार में ऐसा होता ही है, इससे बचा नहीं जा सकता। असल में इसीलिए शेयर बाजार सबसे ज्यादा जोखिम से भरा माना जाता है। लेकिन अब तो सुरक्षित माने जानेवाले ऋण बाजार ने भी निवेशकों को झटके देना शुरू कर दिया है। सोना जैसा माध्यम तक सुरक्षितऔरऔर भी

यूरोपीय संकट का मजबूत और विश्वसनीय समाधान सबके हित में है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के जरिए समूचा वैश्विक समुदाय इस दिशा में प्रयास कर रहा है। यह बात अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गेथनर ने कही। गेथनर ने व्हाइट हाउस में कहा कि मुझे लगता है कि यूरोप फिलहाल जैसे वित्तीय दबाव में है उसके मजबूत और विश्वसनीय समाधान में हम सबका हित है। यह सिर्फ अमेरिका की बात नहीं है न ही सिर्फ यूरोपियों की।औरऔर भी

हर कोई आश्चर्य कर रहा है कि कैसे बाजार इतना बढ़ गया। निफ्टी 2.15 फीसदी बढ़कर 5140.20 और सेंसेक्स 2.11 फीसदी बढ़कर 17,099.28 पर जा पहुंचा। लेकिन इसमें हमारे लिए कोई चौंकने की बात नहीं थी क्योंकि हमें पता था कि भारतीय बाजार एकदम तलहटी पर पहुंच चुके हैं। ग्रीस को 76.9 करोड़ यूरो का अपना वाजिब हिस्सा मिल गया और यूरोप के बाजार 2 से 3 फीसदी बढ़ गए। ऐसे में स्वाभाविक था कि शॉर्ट केऔरऔर भी