इन दुनिया की खूबसूरती यह है कि यहां किसी की भी तानाशाही शाश्वत नहीं होती। यहां अंततः सामंजस्य और संतुलन ही चलता है। हर अति के अंदर से ही वे तत्व पनपते हैं जो उसका अंत कर देते हैं।और भीऔर भी

हम किसी को या तो पूरा सही मान लेते हैं या एकदम खारिज कर देते हैं। या तो हां या न। खटाखट नतीजों पर पहुंचने की जल्दी में रहते हैं हम। लेकिन खुद के विकास के लिए यह अतिवादी ढर्रा ठीक नहीं है।और भीऔर भी