सुप्रीम कोर्ट ने काफी हद तक सहारा समूह का पक्ष स्वीकार कर लिया है, जबकि उसके खिलाफ लड़ रहे पूंजी बाजार नियामक, सेबी और निवेशकों के समूह की शिकायत है कि अदालत ने उनका पक्ष सुना ही नहीं। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश अलतमस कबीर और जस्टिस एस एस निज्जर व जे चेलामेश्वर की बेंच ने फैसला सुनाया कि सहारा समूह की दो कंपनियों – सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन,औरऔर भी

रिजर्व बैंक से लेकर वित्त मंत्रालय तक पिछले कई सालों से वित्तीय समावेश का ढिढोरा पीट रहा है। लेकिन आंकड़ों और घोषणाओं से परे विश्व बैंक की एक ताजा सर्वे रिपोर्ट कुछ और ही हकीकत बयां करती है। बताती हैं कि हम अब भी दुनिया से कितना पीछे हैं। विश्व बैंक की तरफ से कराए गए इस अध्ययन से पता चलता है कि भारत में 35 फीसदी लोगों के पास ही बैंक खाते हैं, जबकि दुनिया काऔरऔर भी

देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई ने मंगलवार को बीसीबी फाइनेंस की लिस्टिंग के साथ अपना अलग एसएमई एक्सचेंज प्लेटफॉर्म शुरू कर दिया। इससे लघु व मध्यम स्तर की कंपनियों को पूंजी बाजार से जोड़ा जाएगा। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बीएसई को इसकी इजाजत पिछले साल सितंबर में ही दे दी थी। लेकिन इसे व्यावहारिक स्वरूप देने में इतना वक्त लगना लाजिमी था। मंगलवार को इस प्लेटफॉर्म पर पहली लिस्टिंग के मौके पर एक्सचेंजऔरऔर भी

सरकार की योजना है कि डाकखानों का इस्तेमाल उन इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने की है, जो अभी तक इससे वंचित हैं। नए साल में इस योजना को अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद है। संचार मंत्रालय ने इस आशय का प्रस्ताव मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया है। इस योजना के तहत 1.55 लाख डाकखानों से बैंकों का काम लेने का भी प्रस्ताव है ताकि ग्रामीण इलाकों में सरकार के वित्तीय समावेशऔरऔर भी

वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी का मानना है कि हमारे यहां मुद्रास्फीति की एक वजह विकसित देशों की नीतियां हैं। उन्होंने बुधवार को राजधानी दिल्ली में बैंक ऑफ इंडिया के 106वें स्‍थापना दिवस समारोह में कहा, “भारत मुद्रास्फीति की जैसी चुनौती का सामना कर रहा है, उसकी आंशिक वजह विकसित देशों द्वारा अपने संकट से निपटने के लिए अपनाई गई नीतियां हैं।” वित्त मंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति को थामने की प्रतिबद्धता में हमें ब्याज दरें बढ़ानी पड़ीऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने निजी कंपनियों या उद्योग समूहों को बैंक खोलने की इजाजत देने की तैयारी कर ली है। लेकिन अगर किसी भी कंपनी या समूह की आय या आस्तियों का 10 फीसदी या इससे ज्यादा हिस्सा रीयल एस्टेट या ब्रोकिंग के धंधे से आता है तो उसे बैंक खोलने की इजाजत नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने सोमवार को निजी क्षेत्र को नए बैंकों को लाइसेंस देने के लिए जारी प्रारूप दिशानिर्देशों में यह प्रावधान किया है।औरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस बात पर बैंकों की पीठ थपथपाई है कि उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसई) को 20 फीसदी ज्यादा ऋण देने के लक्ष्य से आगे बढ़कर 35 फीसदी ज्यादा ऋण दिया है। कृषि क्षेत्र को दिया गया ऋण भी 3.75 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य से 71,000 करोड़ रुपए ज्यादा 4.46 लाख करोड़ रुपए रहा है। लेकिन वित्त मंत्री ने इस बात पर गंभीर चिंता भी जताई है कि वित्त वर्षऔरऔर भी

रसोई गैस, केरोसिन और उर्वरक पर दी जानेवाली सब्सिडी तीन चरणों में सीधे लक्षित व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचा दी जाएगी। लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच है कि सब्सिडी पानेवाले व्यक्ति के पास बैंक खाता तो हो। इसलिए लोगों तक सीधे सब्सिडी पहुंचाने के लिए वित्तीय समावेश कार्यक्रम को तेज करना अपरिहार्य है। यह बात कही है सारे देशवासियों को अलग पहचान देने के काम में लगी संस्था यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के प्रमुखऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने देश के अधिक से अधिक लोगों तक वित्तीय सेवाओं तक पहुंचाने के लिए चल रही वित्तीय समावेश की कोशिशों को नाकाफी बताया है। उसके मुताबिक वित्तीय समावेश के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और ज्यादा प्रयास की जरूरत है। साथ ही जरूरत है कि आर्थिक विकास की सफलता को व्यापक आधार देने के लिए उद्यमशीलता की भावना पैदा की जाए। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने मंगलवार को अहमदाबाद केऔरऔर भी