अंश-अंश में सब सही। पर संपूर्ण आते ही भ्रम में पड़ जाते हैं कि आखिर कौन है सही, क्या है सही? बीच में झूलेंगे तो हमेशा भ्रमित रहेंगे, जबकि कोई पाल्हा पकड़ लेंगे तो सारा भ्रम भूत की तरह भाग जाएगा।और भीऔर भी

आत्मा के बिना शरीर शव है और शरीर के बिना आत्मा भूत! लेकिन क्या उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से अलग किया जा सकता है या पेड़ों से जंगल को? इसी तरह शरीर व आत्मा भिन्न हैं, पर अलग नहीं।और भीऔर भी