कभी सन्नामी अंतरराष्ट्रीय सलाहकार फर्म मैकेंजी के सरगना और गोल्डमैन सैक्श से लेकर प्रॉक्टर एंड गैम्बल व अमेरिकन एयरलाइंस जैसी बड़ी कंपनियों के निदेशक रह चुके अनिवासी भारतीय रजत गुप्ता की इज्जत का फालूदा बन चुका है। बुधवार को देर शाम अमेरिका की एक जिला अदालत ने उन्हें ‘धोखेबाज और बेईमान’ करार देते हुए दो साल की कैद और 50 लाख डॉलर जुर्माने की सज़ा सुना दी। फैसले के मुताबिक रजत गुप्ता की कैद 8 जनवरी 2013औरऔर भी

जब बाजार के प्रमुख खिलाड़ी लोकल नहीं, ग्लोबल हों तो देश की जमीन से उठी अच्छी लहरों को बाहर के झोंके उड़ा ले जाते हैं। ब्याज दरों में अप्रत्याशित कटौती से बाजार ऊपर-ऊपर चल रहा था। अमेरिका से भी बाजार के बढ़ने का आधार पीछे था। दस बजे तक निफ्टी 5342 तक चढ़ चुका था। लेकिन सूरज के सिर पर पहुंचते ही यूरोपीय बाजारों के कमजोरी के साथ खुलने के समाचार आ गए तो भारतीय बाजार भीऔरऔर भी

हां, यह सच है कि कैश सेगमेंट में कल एफआईआई की शुद्ध 1305.55 करोड़ रुपए की भारी-भरकम बिकवाली घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) की 743.47 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद पर भारी पड़ी और बाजार एकदम धराशाई हो गया। हालांकि कैश सेगमेंट की स्थिति तो बिना जहर वाले सांप जैसी है। सरकार पहले ही फिजिकल सेटलमेंट की सहूलियत न देकर बाजार का जहर निकाल चुकी है और फिलहाल किसी में दम नहीं है कि वह भारतीय हलके मेंऔरऔर भी

अमेरिका के डाउ जोंस सूचकांक मे 600 अंकों की भारी गिरावट ने आखिरकार भारत व एशिया में आई गिरावट की बराबरी कर दी। भारत का बाजार पिछले दस महीनों से गिर रहा था, जबकि डाउ जोंस खुद को मजबूती से 12300 पर टिकाए हुए था। लेकिन अब उसे असली झटका लग चुका है। असल में विकसित देशों को लौटकर गया धन अब वहां से निकलकर फिर से भारत उभरते बाजारों की तरफ बढ़ रहा है। खैर, हमारेऔरऔर भी

प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निवेश फर्म गोल्मैन सैक्श ने भारत की रेटिंग बढ़ाकर ‘मार्केट वेट’ कर दी है। पिछले साल से अभी तक उसने भारत को इससे कम ‘अंडर वेट’ की श्रेणी में रखा हुआ था। रेटिंग बढ़ाने का मतलब यह हुआ कि भारतीय शेयर बाजार को लेकर उसकी धारणा में हाल-फिलहाल थोड़े समय के लिए तेजी की हो गई है। गोल्डमैन सैक्श ने रेटिंग बढ़ाने की वजह कच्चे तेल में आ रही गिरावट और नीतिगत सुधारों पर सरकारऔरऔर भी

अमेरिका का डाउनग्रेड होना चाहिए था या नहीं, यह अब बहस का नहीं, इतिहास का मसला बन चुका है क्योंकि एस एंड पी उसकी संप्रभु रेटिंग को डाउनग्रेड कर एएए से एए+ पर ला चुकी है। हो सकता है कि एएए रेटिंग वाले दूसरे देशों को भी बहुत जल्द ही डाउनग्रेड कर दिया जाए। लेकिन क्या इस तरह के डाउनग्रेड से सब कुछ खत्म हो जाता है? ऐसा कतई नहीं है। दुनिया और बाजार चलते रहे हैं,औरऔर भी

ब्रिक देश (ब्राजील, रूस, भारत, चीन) अब उभरते बाजार नहीं रह गए हैं बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था के लिये ‘वृद्धि बाजार’ बन गए हैं। अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन शैक्स के चेयरमैन (संपत्ति प्रबंधन) जिम ओ नील ने बीजिंग में यह बात कही है। दस साल पहले जिम ओ नील ने ही इन देशों के लिए उभरता बाजार शब्द का उपयोग किया था। ब्रिक्स शिखर बैठक से पूर्व ओ नील ने चाइना डेली को दिए गए साक्षात्कार में कहा,औरऔर भी

दुनिया की जानीमानी सलाहकार फर्म मैकेंजी एंड कंपनी के पूर्व प्रमुख और अमेरिका में इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों से घिरे रजत गुप्ता ने आखिरकार हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) की कार्यकारिणी समिति के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। सोमवार को इंडियन बिजनेस स्कूल ने उनके त्यागपत्र की पुष्टि कर दी। अब स्कूल की कार्यकारिणी समिति के नए चेयरमैन का तलाश शुरू हो गई है। आईएसबी के प्रवक्ता ने हैदरबाद में कहा, “रजत गुप्ताऔरऔर भी

बाजार में कदमताल जारी है। उठता है। गिरता है। बढ़ता है। पीछे आता है। फिर बढ़ जाता है। लेकिन एक बात साफ है कि बाजार से जबरदस्ती खेलने का दौर अब खत्म होता दिख रहा है क्योंकि जहां निफ्टी को सायास दबाकर रखा जा रहा है, वहीं इसमें शामिल स्टॉक्स की खरीद शुरू हो गई है। यह इशारा इस बात का है कि बाजार अब अपनी तलहटी पकड़ चुका है। हालांकि ट्रेडरों में इस समय ताजातरीन सोचऔरऔर भी

हाल ही में डेरिवेटिव सौदों में फ्रॉड करने के आरोप में अमेरिकी पूंजी बाजार नियामक संस्था, एसईसी की जांच के दायरे में आए निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स का नाम तो आपने सुना ही होगा। लेकिन शायद आपको नहीं पता कि दुनिया के चार सबसे तेजी से बढ़ते देशों – ब्राजील, रूस, भारत (इंडिया) और चीन को एक साथ मिलाकर ‘ब्रिक’ का नाम गोल्डमैन सैक्स ने ही 2001 में ईजाद किया था। साल 2000 से 2008 के दौरानऔरऔर भी