एक व्यक्ति विशाल संस्था से कैसे लड़ सकता है? अकेला चना भाड़ कैसे फोड़ सकता है? लेकिन अंधेरे को चीरने के लिए एक दीया ही काफी है। रावण की लंका जलाने के लिए एक हनुमान ही काफी होता है।और भीऔर भी

जमाना हम से है, हम जमाने से नहीं – जैसी बातें मुंह फुलाकर हनुमान बनने से ज्यादा कुछ नहीं। जमाना हमारे बगैर भी चलता है और चलता रहेगा। हमें जमाने को समझने की जरूरत है, न कि जमाने को हमें।और भीऔर भी

वैसे तो देश के खजाने और मौद्रिक नीति के प्रबंधन का कोई वास्ता किसी आस्था नहीं है। लेकिन रिजर्व बैंक में लगता है कि शीर्ष पर कहीं कोई हनुमान-भक्त बैठा है क्योंकि उसकी सालाना मौद्रिक नीति और हर तिमाही समीक्षा मंगलवार को ही आती रही है। 20 अप्रैल को 2010-11 की सालाना मौद्रिक नीति आई। 27 जुलाई 2010 को पहली समीक्षा, 2 नवंबर 2010 को दूसरी समीक्षा और 25 जनवरी 2011 को तीसरी समीक्षा हुई। इसमें सेऔरऔर भी