बाजार इस हफ्ते दायरे में बंधकर चलेगा। पहले निफ्टी 5230 से 5340 का दायरा तोड़े, तभी आगे की दिशा साफ हो सकती है। यह कहना है जानकारों का। लेकिन जीवन की तरह शेयर बाजार भी किसी फिल्म या सीरियल की स्क्रिप्ट नहीं है कि कम से कम लिखनेवाले को आगे का पता हो। यहां तो हर कोई, बड़े से बड़ा दिग्गज भी अंदाज ही लगाता है। नहीं लगा तो तीर, लग गया तो तुक्का। बाजार में हरऔरऔर भी

ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज में निवेश की सलाह हमने सबसे पहले करीब नौ महीने पहले 15 जून 2010 को दी थी। उस वक्त यह शेयर बहुत उछलकूद मचा रहा था। महीने भर में ही 40 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 445 रुपए पर पहुंच चुका था। इस समय भी इसमें तेज हरकत है। 10 फरवरी को इसने दिसंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए, तब इसका बंद भाव 493.95 रुपए था। उसके बाद करीब एक महीने में यह 14.44 फीसदी बढ़करऔरऔर भी

साल भर में करीब 25,500 करोड़ रुपए का धंधा। करीब डेढ़ लाख लोगों को सीधा रोजगार। अभी सितंबर तिमाही में करीब 7500 करोड़ रुपए की आय पर 1822 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ। मौजूदा बाजार पूंजीकरण 1.65 लाख करोड़ रुपए। इनफोसिस है तो देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी। उसका नंबर टाटा समूह की कंपनी टीसीएस के बाद आता है जिसकी सालाना आय करीब 30,000 करोड़ और मौजूदा बाजार पूंजीकरण 2.34 लाख करोड़ रुपए है।औरऔर भी

विज्ञापन लोगों के मासूम मन को छलनेवाला ऐसा करतब है जिस पर नियामक बैठाने की बात तो बार-बार हुई है, लेकिन अभी तक कंपनियों व विज्ञापन जगत के नुमाइंदों से बने संगठन एएससीआई (एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया) को पंच बनाकर रखा हुआ है जिसकी कमान एक क्लर्कनुमा सज्जन, एलन कोल्लाको को सालोंसाल से सौंप रखी है। यह तो वही बात हुई कि ठगों को ही ठगी को रोकने का थानेदार बना दिया। इसीलिए अक्सर लगता हैऔरऔर भी

शेयर बाजार किसी दिन अगर 300-400 अंक गिर जाता है तो इससे भारत की विकासगाथा का अंत नहीं होता। इतिहास गवाह है कि बाजार इससे भी बहुत-बहुत बड़ी गिरावटों के बाद भी संभलकर शान से उठ खड़ा हुआ है। जो लोग बाजार में 15-20 साल से सक्रिय होंगे, उनको याद होगा कि 1995-97 के दो सालों में अभी जैसे ही हालात थे। मुद्रास्फीति ज्यादा थी। ब्याज दरें ऊंची थी। सरकार नीतिगत फैसलों में लुंजपुंज हुई पड़ी थी।औरऔर भी

अक्सर मुझे लगता है कि किसी खास शेयर को खरीदने या बेचने की सलाह महज एक उकसावा भर होती है ताकि लोगों की दिलचस्पी बनी रहे और बाजार की खटर-पटर चलती रही। अनुमानों के पीछे कितना भी गणित गिनाया जाए, कुछ न कुछ पहलू छूट ही जाते हैं जिससे तीर निशाने पर नहीं लगता। जैसे साल भर पहले आज ही के दिन हमने फीनिक्स मिल्स पर एचडीएफसी सिक्यूरिटीज की रिसर्च रिपोर्ट के हवाले बताया था कि, “यहऔरऔर भी

दुनिया के सन्नाम निवेशक जॉर्ज सोरोस का कहना है, “निवेश का फैसला किसी वैज्ञानिक परिकल्पना को बनाने और उसे व्यवहार में परखने जैसा है। फर्क इतना है कि निवेश के फैसले से जुड़ी परिकल्पना का मसकद धन बनाना होता है, कोई सर्वमान्य सत्य स्थापित करना नहीं।” यह फैसला हर इंसान को खुद करना होता है। आपके लिए फैसला न तो कोई ब्रोकर और न ही कोई विशेषज्ञ कर सकता है। वे तो बस सूचना पाने के माध्यमऔरऔर भी

एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर। ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 1.04 रुपए। शेयर चल रहा है 73.35 रुपए पर, यानी 70.53 के पी/ई अनुपात पर। जी हां, आज हम चर्चा करेंगे असाही इंडिया ग्लास की। लेकिन इससे पहले बता दें कि 16 अगस्त को हमने कहा था कि आइनॉक्स लीज़र दो माह में 10-20 फीसदी रिटर्न देगा। तब यह 43 रुपए पर था। कल एक महीना बीतने से पहले ही यह ऊपरऔरऔर भी

यूनिटी इंफ्राप्रोजेक्ट्स का शेयर एक साल एक दिन पहले 16 जुलाई 2010 को 123 रुपए की चोटी पर बैठा हुआ था। एक दिन पहले कल 62.90 रुपए पर था। वो भी 22 मार्च 2011 को 52.60 रुपए तक की खाईं में गिर जाने के बाद। बीएसई सेंसेक्स इसी दौरान 17955.82 से 3.69 फीसदी बढ़कर 18,618.20 पर पहुंच गया, जबकि यह 48.86 फीसदी गिर चुका है। इसीलिए सेंसेक्स को देखकर पूरे बाजार का हाल नहीं जाना जा सकता।औरऔर भी

हमारे शेयर बाजार में वेलस्पन नाम की पांच कंपनियां लिस्टेड हैं – वेलस्पन कॉर्प, वेलस्पन इंडिया, वेलस्पन इनवेस्टमेंट्स, वेलस्पन प्रोजेक्ट्स और वेलस्पन सिन्टेक्स। ये सारी की सारी एक ही समूह की कंपनियां है और इनके सामूहिक चेयरमैन बाल कृष्ण गोयनका हैं। आज यहां हम बात कर रहे हैं वेलस्पन कॉर्प की। यह बड़े व्यास की लंबी-लंबी पाइप बनानेवाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है। भारत ही नहीं, दुनिया भर की तमाम पाइपलाइन परियोजनाओं को इसनेऔरऔर भी