कोई भी सौदा तभी पूरा होता है जब खरीदने और बेचनेवाले, दोनों को लगता है कि वो उसके लिए फायदे का सौदा है। खरीदनेवाले को लगता है कि शेयर अभी और चढ़ेगा जिसके लिए जरूरी है कि उसके बाद भी दूसरे लोग उसे जमकर खरीदें। वहीं बेचनेवाले को लगता है कि निकल लो, अन्यथा यह और गिरेगा जिसके लिए चाहिए कि उसके बाद भी लोग उसे जमकर बेचें। समझिए यह परस्पर पूरक सच। चलाइए बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

राकेश झुनझुनवाला ने कुछ हफ्ते पहले बोला कि भारतीय शेयर बाज़ार में तेज़ी का ऐसा लंबा दौर आ रहा है जैसा अमेरिका में 1982 से 2000 तक चला था। लेकिन तब अमेरिका में बिजनेस का बेहद माकूल माहौल था। वहीं भारत अभी बिजनेस करने की आसानी में दुनिया के 189 देशों में 134वें, बिजनेस शुरू करने में 179वें और कांट्रैक्ट लागू करने में 186वें नंबर पर है। बिजनेस नहीं तो बाज़ार कैसे बढ़ेगा? अब मंगलवार की धार…औरऔर भी

हम राकेश झुनझुनवाला या एफआईआई नहीं जो अपनी खरीद से किसी शेयर को चढ़ा दें। न ही हम बैंकर, ब्रोकर या कंपनी प्रवर्तक हैं कि अंदर की खबरें घोषित होने से पहले हमारे पास पहुंच जाएं। हमारी सीमा है कि भावों की भाषा ही ट्रेडिंग का हमारा एकमात्र औजार है। इसे पढ़ने में माहिर हो जाएं और प्रायिकता के मद्देनज़र रिस्क-रिटर्न का सामंजस्य बैठा लें तो जीत हमारी। अन्यथा हारना हमारी नियति है। अब हफ्ता बजट का…औरऔर भी

शेयर/कमोडिटी बाज़ार में जो भी ट्रेडिंग से कमाना चाहते हैं, उन्हें यह सच अपने जेहन में बैठा लेना चाहिए कि यहां भावी अनिश्चितता को मिटाना कतई संभव नहीं। यहां सांख्यिकी या गणित की भाषा में प्रायिकता और आम बोलचाल की भाषा में संभावना या गुंजाइश चलती है। जो भी यहां भाव के पक्का बढ़ने/घटने की बात करता है वह या तो अहंकारी मूर्ख है या तगड़ा धंधेबाज़। इस सच को समझते हुए करते हैं हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

बड़ी सलाहकार फर्म है। इंट्रा-डे सलाह के 5000 रुपए महीना लेती है। डेरिवेटिव्स व फॉरेक्स में भी मार करती है। आजमाने के लिए कल मैंने उनकी सलाह ली। इंट्रा-डे में उन्होंने वोल्टास, टाटा मोटर्स व यूनियन बैंक को चुना। स्टॉप-लॉस की नौबत नहीं आई, पर तीनों लक्ष्य से रहे दूर। फिर भी आखिरी एसएमएस में उन्होंने ठोंका कि इन तीन कॉल्स में दिन की कमाई 4153 रुपए। कैसे और कितनी पूंजी पर? सोचते हुए बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

जब लार्जकैप या बड़ी कंपनियों में जमकर खरीद हो चुकी होती है तो उनमें कुछ दिनों के लिए मुनाफावसूली चल निकलती है। ठीक इसी वक्त मिडकैप स्टॉक्स में खरीद बढ़ने लगती है और वे फटाफट उढ़ने लगते हैं। फिलहाल बाज़ार का यही हाल है। लेकिन जैसे ही कोई बुरी खबर आएगी, यही मिडकैप स्टॉक्स बड़ी तेज़ी से गिरेंगे, जबकि लॉर्जकैप या तो संभले रहेंगे या गिरेंगे तो बहुत थोड़ा। इस सावधानी के साथ अब नज़र आज पर…औरऔर भी

बाज़ार में अजीब से उन्माद से भरी इस रैली का कोई अंत नहीं दिख रहा। कल भी और आज भी पंटर भाई लोग शॉर्ट सौदे करते रहे। तेजड़िए अगले गुरुवार तक आसानी से मोर्चा नहीं छोड़ने वाले हैं। वे जबरदस्त कैश का अंतर खींचने का यह मौका हाथ से नहीं जाने देंगे। आप यह बात खुद देख लीजिएगा। यकीन मानिए कि मंदड़ियों को इससे जो नुकसान होगा, वह उन पर बहुत-बहुत भारी पड़ेगा। पिछले 15 महीनों मेंऔरऔर भी

सोचिए, कभी ऐसा हो जाए कि आपके घर में और आसपास जो भी अच्छी चीजें हैं, जिनसे आपका रोज-ब-रोज का वास्ता पड़ता है, जिनकी गुणवत्ता से आप भलीभांति वाकिफ हैं, उन्हें बनानी वाली कंपनियों में आप शेयरधारक होते तो कैसा महूसस करते? कंपनी के बढ़ने का मतलब उसके धंधे व मुनाफे का बढ़ना होता है और मुनाफा तभी बढ़ता है जब ग्राहक या उपभोक्ता उसके उत्पाद व सेवाओं को पसंद करते हैं, उनका उपभोग करते हैं। आपकीऔरऔर भी

बाजार में मिड कैप स्टॉक्स की चर्चा जोरशोर से चल पड़ी है। हर 5 सेकंड पर कोई न कोई सूचना आ जाती है और इनमें से ज्यादातर खबर बन जाती हैं। यह न केवल बाजार के लिए, बल्कि निवेशकों के लिए भी शुभ संकेत है। बी ग्रुप के शेयरों में रैली शुरू हो गई है। उन तमाम रिटेल निवेशकों को अब इनसे निकलने का मौका मिल जाएगा जिन्होंने इन्हें ऊंचे भाव पर खरीदा था। दरअसल, यह एकऔरऔर भी

डीएमके के छह मंत्रियों का केंद्र सरकार से बाहर निकलना एक नौटंकी है जो सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की रजामंदी से रची जा रही है। सारे मंत्रियों के हटने के बावजूद यूपीए सरकार को डीएमके का बाहर से समर्थन जारी है, जारी रहेगा। इसलिए केंद्र सरकार के वजूद को कोई खतरा नहीं है। हां, संसद के भीतर समीकरण थोड़े जरूर बदल जाएंगे। डीएमके के 18 सांसद जाएंगे तो मुलायम की समाजवादी पार्टी के 22 सांसद सरकार को मिलऔरऔर भी