सुरक्षित चलने वाला कभी बहुत ज्यादा नहीं कमाता। पर जितना कमाता है, बराबर कमाता है। वहीं जो खूब रिस्क लेता है वो कभी-कभी तो बहुत कमा लेता है। पर उसके हाथ में कटोरा आते भी देर नहीं लगती। कछुए व खरगोश की पुरानी कथा। अगर आपको ट्रेडिंग से बराबर कमाना है तो कम से कम रिस्क में ज्यादा से ज्यादा रिटर्न का सिस्टम बनाकर दृढ़ता से उसका पालन करना होगा। अब बुधवार के वार पर एक नज़र…औरऔर भी

शेयर/कमोडिटी बाज़ार में जो भी ट्रेडिंग से कमाना चाहते हैं, उन्हें यह सच अपने जेहन में बैठा लेना चाहिए कि यहां भावी अनिश्चितता को मिटाना कतई संभव नहीं। यहां सांख्यिकी या गणित की भाषा में प्रायिकता और आम बोलचाल की भाषा में संभावना या गुंजाइश चलती है। जो भी यहां भाव के पक्का बढ़ने/घटने की बात करता है वह या तो अहंकारी मूर्ख है या तगड़ा धंधेबाज़। इस सच को समझते हुए करते हैं हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

कुमारमंगलम बिड़ला और उनकी कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज पर कोयला ब्लॉक आवंटन में सीबीआई की तरफ से आपराधिक साजिश की एफआईआर दर्ज कराने के बाद पूरा कॉरपोरेट जगत तो कौआ-रोर कर ही रहा है। अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज़ को क्लीनचिट दे दी है। कमाल की बात तो यह है कि प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी इस मामले में प्रधानमंत्री के पक्ष में खड़ा है। लेकिन जांच के दायरे में आए इस मामले को किनारे रखऔरऔर भी

सूचकांकों के पैमाने पर देखें तो हमारा शेयर बाज़ार फिर ऐतिहासिक ऊंचाई पर है। सेंसेक्स दिसंबर 2007 और नवंबर 2010 में कमोबेश इन्हीं स्तरों पर था। इसका मतलब यह हुआ कि दिसंबर 2007 में जिसने सेंसेक्स में पैसे लगाए होंगे, आज करीब छह साल बाद उसका रिटर्न शून्य है। 10% मुद्रास्फीति के असर को जोड़ दें तो उसके 100 रुपए आज असल में घटकर 56.45 रुपए रह गए हैं। निवेशक दुखी, ट्रेडर खुश। अब आगाज़ आज का…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में तेज़ी का फायदा दो लोगों को मिलता है। एक, जिनके पास कंपनियों के शेयर पहले से हैं और दो, जो बदलते रुख से ताल मिलाकर फटाफट ट्रेडिंग करते हैं। कमाल की बात है कि एयरलाइन का टिकट महंगा हो जाए तो हवाई सफर करनेवाला दुखी हो जाता है, लेकिन यहां तेज़ी के दौर में शेयरों के महंगा होने पर उसे न रखनेवाला चहककर बाज़ार की तरफ दौड़ पड़ता है। सोचिए-समझिए। अब मौके की बात…औरऔर भी