फाइनेंस बाज़ार में बुल्स और बियर्स की तरह कई जानवरों के नाम चलते हैं। इनमें से एक है हॉग्स/पिग्स या हिंदी में बोलें तो सुअर। इसका अभिप्राय उन निवेशकों/ट्रेडरों से होता है जो बेहद लालची व अधीर होते हैं, ब्रोकर या वेबसाइट की ‘हॉट’ टिप पर बल्लियों उछलते हैं और रिसर्च करना या जानकारी जुटाना क्लेश समझते हैं। सुअर भले ही मुश्किल से मरे, लेकिन ‘पिग्स’ निवेशक आसानी से कुर्बान हो जाते हैं। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

हम अपने मुनाफे को अधिकतम संभव स्तर तक दौड़ाकर ले जाना चाहते हैं। लेकिन वो अधिकतम स्तर पहुंचा है या नहीं, इसका फैसला कैसे करें? छह-सात महीने पहले कहते थे कि जुलाई तक निफ्टी 7000 तक जाएगा। लेकिन वो तो कब का 7800 से ऊपर जाकर 7600 के आसपास डोल रहा है। भाव कल की सोचकर चलते हैं, लेकिन कल असल में क्या होगा, कोई नहीं जानता। कुछ संकेतक इशारा ज़रूर करते हैं। अब शुक्रवार की दशा…औरऔर भी

अल्पकालिक ट्रेडिंग से कमाई और दीर्घकालिक निवेश से दौलत। यही सूत्र लेकर करीब सवा साल पहले हमने यह पेड-सेवा शुरू की थी। दीर्घकालिक निवेश की सेवा, तथास्तु को लेकर हम डंके की चोट पर कह सकते हैं कि हमसे बेहतर कोई नहीं। सूझबूझ की कृपा से इसमें सुझाए कई शेयर साल भर में चार गुना तक बढ़ चुके हैं। ट्रेडिंग में भी हम रिसर्च से आपकी रणनीति विकसित करने में लगे हैं। करें अब शुक्रवार का प्रस्थान…औरऔर भी

कंपनियों के विज्ञापन और नेताओं के बयान में ज्यादा फर्क नहीं होता। एक नेताजी बोले कि देश में अच्छे दिन आ गए। इसका सबूत है कि शेयर बाज़ार इतना चढ़ गया। लेकिन बाज़ार तो इसलिए बढ़ा है क्योंकि विदेशियों ने झटपट मुनाफा कमाने के लिए शुक्र से लेकर अब तक इसमें 6033.04 करोड़ डाले हैं, जबकि देशी संस्थाओं ने 1042.17 करोड़ निकाले हैं। विदेशी कमाएं, देशी लुटाएं तो अच्छे दिन कैसे? खैर, हम चलें गुरु की डगर…औरऔर भी

बाज़ार सबके लिए एक है। स्टॉक्स की लिस्ट और उनसे बने सूचकांक सबके लिए एक हैं। लेकिन हर दिन वहां से कुछ लोग रोते हुए निकलते हैं तो कुछ खिलखिलाते हुए। जाहिर है कि हर ट्रेडर की गति उसकी व्यक्तिगत स्थिति पर निर्भर है, न कि बाज़ार की वस्तुगत स्थिति पर क्योंकि उठना-गिरना तो बाज़ार का शाश्वत स्वभाव है। इसलिए कुछ जानकार लोग कहते हैं कि ट्रेडिंग खुद को खोजने जैसा काम है। अब खोज गुरुवार की…औरऔर भी

शेयर बाज़ार लंबे समय में किसी देश की अर्थव्यवस्था और वहां की कंपनियों की सेहत व भावी संभावना का आईना होता है। लेकिन छोटे समय में वहां इसका पैसा उसकी जेब में ही बहता है। लोगबाग इसलिए खरीदते हैं ताकि बेचकर मुनाफा कमा सकें। इसीलिए बाज़ार और भाव हमेशा चक्र में चलते हैं। उठने व गिरते रहते हैं। जापान का बाजार करीब बीस साल डूबता रहा। लेकिन भारत में संभावना है तो बढ़ेगा। अब गुरु का बाज़ार…औरऔर भी

सुरक्षित चलने वाला कभी बहुत ज्यादा नहीं कमाता। पर जितना कमाता है, बराबर कमाता है। वहीं जो खूब रिस्क लेता है वो कभी-कभी तो बहुत कमा लेता है। पर उसके हाथ में कटोरा आते भी देर नहीं लगती। कछुए व खरगोश की पुरानी कथा। अगर आपको ट्रेडिंग से बराबर कमाना है तो कम से कम रिस्क में ज्यादा से ज्यादा रिटर्न का सिस्टम बनाकर दृढ़ता से उसका पालन करना होगा। अब बुधवार के वार पर एक नज़र…औरऔर भी

दुनिया पहले से सोचे ढर्रे पर चलती रहे तो जीवन का सारा थ्रिल खत्म हो जाए। अनिश्चितता के पहलू को कभी नज़रअंदाज़ करके नहीं चला जा सकता। कल भी यही हुआ। सब माने बैठे थे कि रूस यूक्रेन पर हमला करने ही वाला है। लेकिन ऐनवक्त पर पुतिन ने रूसी सेनाओं को वापस बुलाने का आदेश दे दिया। भारत समेत दुनिया भर के बाज़ार इस अप्रत्याशित कदम से चहचहाने लगे। अब देखें बुधवार की दस्तक क्या है…औरऔर भी

कोई भी समझदार व्यक्ति कम रिस्क में ठीकठाक कमाने का मौका नहीं गंवाता। उसे ज्यादा रिटर्न खींचता जरूर है, लेकिन उससे जुड़ा ज्यादा रिस्क उसे डराता भी है। इसीलिए हममें तमाम लोग शेयरों के बजाय रीयल एस्टेट, सोने व एफडी में पैसा लगाते हैं। इधर विदेशी संस्थागत निवेशको को लग रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं तो वे भारत जैसे देशों से निवेश निकालकर वापस ले जा रहे हैं। अब आज की दशा-दिशा…औरऔर भी

हमने कल बाज़ार खुलने से करीब 45 मिनट पहले ही लिख दिया था कि आज भारी गिरावट का अंदेशा है। इसलिए ज़रा संभलकर। पर निफ्टी 2.09% गिरकर 6135.85 पर पहुंच जाएगा, इतनी उम्मीद नहीं थी। असल में यह बाहरी हवाओं का कोप है। पिछले हफ्ते मात्र दो दिनों में डाउ जोन्स करीब 500 अंक गिरा है। कोई इसका दोष चीन को दे रहा है तो कोई अमेरिका में बांड-खरीद घटाने को। सो, सावधानी से बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी