जब आर्थिक विकास दर घटकर 5.3 फीसदी पर आ गई हो, अप्रैल के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईआई) में महज 0.1 फीसदी बढ़त दर्ज की गई हो और निवेश जगत में हर तरफ मायूसी का आलम हो, तब अगर 23 में से 17 अर्थशास्त्री मान रहे थे कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की पहली मध्य-तिमाही समीक्षा में रेपो दर में चौथाई फीसदी कमी (8 फीसदी से 7.75 फीसदी) कर देगा तो उनका मानना कोई नाजायज नहीं था। लेकिनऔरऔर भी

कुछ कंपनियां ऐसी होती हैं जिनमें लंबे समय के निवेश को लेकर ज्यादा कुछ आगा-पीछा सोचने की जरूरत नहीं होती। बस यही देखना पड़ता है कि उन्हें सस्ते में पकड़ने का वक्त है कि नहीं। एचडीएफसी ऐसी ही कंपनी है। हाउसिंग फाइनेंस की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी कंपनी। हमारे यहां 30-32 साल के नए-नए नौकरी करनेवाले लोग भी जो लोन लेकर खटाक से घर के मालिक बन जा रहे हैं, वो पूरी सहूलियत और इस धंधेऔरऔर भी

सरकार नए वित्त वर्ष 2011-12 से 15 लाख रुपए तक के होम लोन पर ब्याज में एक फीसदी की सब्सिडी देगी, बशर्ते मकान की कीमत 25 लाख रुपए से कम हो। अभी तक सरकार की तरफ से 20 लाख रुपए तक के मकान पर 10 लाख रुपए के होम लोन पर एक फीसदी ब्याज सब्सिडी दी जाती है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संसद में बजट भाषण में कहा कि वे आवास ऋण पर एक फीसदी ब्याजऔरऔर भी

किसी गाड़ी के लिए शॉक एब्जॉर्वर जो काम करता है, वैसी ही भूमिका किसी कर्जदार के लिए मोर्गेज इंश्योरेंस की है। आपने यदि किसी प्रकार का कर्ज लिया है तो मोर्गेज इंश्योरेंस काफी उपयोगी हो सकता है। खास कर उस स्थिति में और ज्यादा, जब कर्ज लेने के बाद आपकी असामयिक मौत हो जाती है। तब मोर्गेज इंश्योरेंस ही आपके परिवार की चिंताएं दूर करता है। कैसे काम करता है: मान लीजिए कि आपने 50 लाख रुपएऔरऔर भी

सरकार रिजर्व बैंक के साथ इस मसले पर बातचीत कर रही है कि होम लोम को कैसे प्राकृतिक आपदाओं से होनेवाले नुकसान से बचाने के बीमा के साथ जोड़ा जा सकता है। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) के चेयरमैन जे हरिनाराणन ने बुधवार को दिल्ली में फिक्की द्वारा आयोजित सेमिनार में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, “हम अब भी प्राकृतिक आपदाओं से व्यक्ति को बीमा देने का तरीका तलाशने में लगे हैं, लेकिन ऐसा कोई इकलौताऔरऔर भी

बेस रेट तो लागू हो गया, लेकिन पुराने होम लोन के ब्याज का क्या होगा? नया होम लोन तो बैंक अपने बेस रेट के हिसाब से देंगे। जो ऋण नवीकरण के लिए आएंगे, उन पर भी बेस रेट की नई प्रणाली लागू होगी। जिन बैंकों ने शुरुआती सालों के लिए 8, 8.25 या 8.50 फीसदी ब्याज दर वाली विशेष स्कीमें पेश की थी, उन्हें और उनके ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं है। एसबीआई या एचडीएफसी की तरहऔरऔर भी